केजरीवाल पर शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलेगा:ED को गृह मंत्रालय ने मंजूरी दी, दिल्ली चुनाव से 20 दिन पहले फैसला

गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलाने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना भी केजरीवाल पर केस चलाने की इजाजत दे चुके हैं।

ED को यह मंजूरी इसलिए लेनी पड़ी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए ऐसा करना होगा। ED ने पिछले साल PMLA कोर्ट में केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें शराब नीति घोटाले में केजरीवाल को आरोपी बनाया था।

ED को यह मंजूरी ऐसे समय मिली है, जब दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं। रिजल्ट 8 फरवरी को आएगा।

दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 11 जनवरी को ED को शराब नीति मामले में केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी। ED ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी।

AAP बोली- 2 साल बाद और चुनाव के ठीक पहले मंजूरी क्यों

AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा- देश के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें आपने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को जेल में डाला। दोनों को ट्रायल कोर्ट और यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत मिल गई… 2 साल बाद आपने मुकदमा चलाने की मंजूरी दी। यह तब है, जब चुनाव नजदीक हैं। उनका वही पुराना तरीका है, झूठे मामले दर्ज करना, आम आदमी पार्टी के नेताओं को बदनाम करना, लेकिन अब जनता सब समझ चुकी है।

जुलाई में चार्जशीट ट्रायल कोर्ट में दायर हुई थी, 5 पॉइंट में पूरा मामला

  1. ED ने ट्रायल कोर्ट में केजरीवाल के खिलाफ 7वीं चार्जशीट दायर की थी। ट्रायल कोर्ट ने 9 जुलाई को चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कहा था- केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
  2. केजरीवाल ने नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट में ED की 7वीं चार्जशीट पर संज्ञान लेने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि ED ने जो आरोप लगाए हैं, उन आरोपों के समय वे पब्लिक सर्वेंट थे।
  3. दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। केस चलाने के लिए ED के पास आवश्यक मंजूरी नहीं थी। इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर एक्शन लिया।
  4. हाईकोर्ट से केजरीवाल की मांग खारिज होने के बाद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जहां कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केस चलाने के लिए सरकार की अनुमति जरूरी है।
  5. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को फैसला सुनाते हुए कहा था कि पब्लिक सर्वेंट पर सरकार की अनुमति के बिना मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) की धाराओं के तहत केस नहीं चलाया जा सकता है। यह नियम CBI और स्टेट पुलिस पर भी लागू होगी। इसके बाद ED ने राज्यपाल से इजाजत मांगी।

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