जैसी लोगन की बोली-बानी… वैसी हो जाती है नेताजी की कहानी, पीएम मोदी की तरह जनता से क्षेत्रीय भाषा में जुड़ते हैं ये दिग्गज
भोपाल। अच्छा नेता वही होता है, जो जनता से सीधे जुड़ जाता है, और इस जुड़ाव के लिए जरूरी है कि जनता से उसी भाषा, बोली-बानी में बात की जाए, जिसे जनता समझती है। इस मामले में वर्तमान कालखंड के राजनेताओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अव्वल हैं। वे जहां जाते हैं, उसी क्षेत्र की बोली-बानी में जनता से बात करते हैं। मगर ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं।हाल ही में मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट से सांसद चुने गए केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके को भी ऐसा करने में महारत प्राप्त है। वे जिस क्षेत्र में जाते हैं, वहां के लोगों की बोली-बानी के अनुसार अपने भाषण की कहानी बना लेते हैं। दरअसल, वे चार भाषा/बोलियों के जानकार हैं। उन्हें गोंडी, मराठी, हिंदी और अंग्रेजी आती है। चूंकि बैतूल में आदिवासी वर्ग के लोग बहुतायत हैं और महाराष्ट्र से जुड़ा होने के कारण यहां कुछ मराठी लोग भी हैं। अत: उइके अपने क्षेत्र की ग्रामीण जनता से गोंडी, मराठी व शहरी जनता से हिंदी व अंग्रेजी में बात कर लेते हैं। इस भाषाई विविधता के चलते उनका जनता से तुरत-फुरत और गहरा जुड़ाव हो जाता है।
इनका अंदाज भी निराला भइल मध्य प्रदेश की सागर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुईं लता वानखेड़े भी अपने क्षेत्र के लोगों से क्षेत्रीय बोली अर्थात बुंदेली का अपने बोलचाल में खूब उपयोग करती हैं। यद्यपि शहरी जनता से वे अच्छी हिंदी में बात कर लेती हैं। इसी तरह, विंध्य क्षेत्र में यहां के सभी नेता आम बोलचाल या प्रचार में लोगों से मिलने-जुलने के दौरान अधिकतर समय बघेली ही बोलते हैं। मप्र की चुरहट सीट से विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ‘राहुल’ का लगभग पूरा बोलचाल बघेली में रहता है। ऐसी ही स्थिति मप्र के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की है। वे भी स्थानीय बोली में ही लोगों से बतियाते हैं।
मुख्यमंत्री भी मालवी में बोलते हैं
उज्जैन निवासी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव का क्षेत्र मालवी बोली बोलने वालों का है। यूं तो वे अक्सर हिंदी में ही बोलते हैं, किंतु अपने क्षेत्र के ग्रामीण मतदाताओं से मालवी में भी जुड़ाव कर लेते हैं। इसी उज्जैन से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले महेश परमार हों या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, वे भी उज्जैन-इंदौर की जनता से संवाद में कई बार मीठी मालवी का प्रयोग करते हैं।
प्रधानमंत्री तो अव्वल हैं स्थानीय बोली, भाषा के प्रयोग के मामले में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अव्वल हैं। वे उत्तर से लेकर दक्षिण भारत और सुदूर उत्तर-पूर्व में जहां जाते हैं, वहां की स्थानीय बोली में जनता को संबोधित करते हैं। मसलन, जब विधानसभा चुनाव के दौरान वे मध्य प्रदेश के सीधी पहुंचे थे, तब उन्होंने अपने संबोधन का पहला वाक्य, ‘हम सबका प्रणाम करित है’ बोला था। इसके अलावा वे आदिवासी क्षेत्रों में अपनी बात ‘जय जोहार’ से शुरू करते हैं।