पिछले साल 40 तरीकों से ठगे गए शहर के लोग:साल भर में इनसे 61 करोड़ रुपए ऐंठे

शहर में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साइबर क्राइम विंग के रिकॉर्ड बताते हैं कि 2024 में ठगों ने लोगों को 40 अलग-अलग तरीकों से निशाना बनाया और उनकी जेब से 61.15 करोड़ रुपए उड़ा लिए। ठगी के पैटर्न में बदलाव भी देखने को मिला है। ओटीपी पूछकर की जाने वाली ठगी के मामले कम हुए हैं। इस साल केवल 56 मामले सामने आए। फेक यूपीआई ऐप्स के जरिए सबसे ज्यादा 1101 लोग ठगे गए। इसके अलावा, 314 लोगों को ठगों ने रिश्तेदार बनकर जाल में फंसाया। पिछले साल शहर में 53 डिजिटल अरेस्ट हुए। खास बात यह है कि साइबर अपराधी हर चार से पांच महीने में अपना तरीका बदल लेते हैं।

एपीके फाइल से सिम तक होती है ब्लॉक

साइबर क्राइम विंग के अनुसार ठग यूजर्स को मोबाइल पर एपीके फाइल भेजते हैं। इसे डाउनलोड करते ही वे आपके बायोमेट्रिक ब्लॉक कर देते हैं। इसके बाद आपके कॉल और मैसेज डाइवर्ट होकर ठगों के पास पहुंचते हैं। ठग आपकी सिम बंद करवाकर ई-सिम जारी करवाते हैं। उस ई-सिम से वॉलेट एक्टिव कर खाते से रकम निकाली जाती है।

लगातार जागरूकता अभियान चला रहे

साइबर फ्रॉड में कमी लाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। एडवाइजरी भी जारी की जाती है। काफी रकम लोगों को रिफंड भी करवाई गई है। शैलेंद्र सिंह चौहान, एडिशनल डीसीपी क्राइम

तीन तरह से हुए यूपीआई फ्रॉड

    • फिशिंग: यूजर्स को एपीके फाइल भेजी। फाइल डाउनलोड होते ही फोन हैकर्स के कंट्रोल में आ गया। पिन कॉपी कर यूपीआई से पैसे निकाले।
    • बैंक से फोन : बैंक अधिकारी बन यूपीआई में दिक्कत बताई। डिटेल ली और यूपीआई के जरिये पैसे निकाले।
    • फेक क्यूआर कोड: रिश्तेदार बनकर फोन किया। क्यूआर कोड भेजकर यूपीआई से ट्रांजेक्शन करवा लिया।

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