अमेरिका बोला-LAC पर तनाव कम करने में हमारी भूमिका नहीं:भारत-चीन के बीच 21 अक्टूबर को समझौता हुआ था
अमेरिका ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने और दोनों देशों के बीच तनाव में आई कमी का स्वागत किया है। ANI के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार को साफ किया कि अमेरिका ने इस मामले के समाधान में कोई भूमिका नहीं निभाई है। अमेरिका ने यह भी कहा कि वह इस मामले पर करीब से नजर रखे हुए है। इस बीच रक्षा सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के देपसांग और डेमचोक इलाकों में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। भारत लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद को हल करने के लिए काम कर रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि दोनों देशों के सैनिक सीमा पर समझौते के मुताबिक काम को अंजाम देने में लगे हुए हैं। 2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था। भारत और चीन ने 21 अक्टूबर को एक नया पेट्रोलिंग समझौता किया था। इससे दोनों देशों के बीच 4 साल से जारी गतिरोध खत्म हुआ।
3 पॉइंट में भारत-चीन का पेट्रोलिंग समझौता
1. PM मोदी की ब्रिक्स यात्रा के पहले समझौता फाइनल हुआ। ब्रिक्स में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। मोदी ने यहां कहा था कि शांति कायम रखना हर हाल में जरूरी है।
2. पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हुए। यानी अब चीन की आर्मी उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था।
3. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है। इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे।
गलवान में 15 जून 2020 को झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए
15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।