इस साल बिक जाएगा यह सरकारी बैंक, RBI ने शॉर्ट लिस्ट किए गए बिडर्स, सरकार कर रही जांच-परख

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में रणनीतिक तौर पर सरकारी हिस्सेदारी बेचकर पैसा जुटाना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही अहम यह भी है कि ये कंपनियां शेयरधारकों के लिए वेल्थ क्रिएट करें। डिसइनवेस्टमेंट से लेकर स्ट्रैटेजिक सेल तक, अब तमाम चीजों को पब्लिक असेट मैनेजमेंट के एक बड़े दायरे में देखा जा रहा है IDBI बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बेचने के मामले में आरबीआई शॉर्ट लिस्ट किए गए बिडर्स की जांच-परख कर रहा है और इस साल यह बिक्री पूरी हो जाने की उम्मीद है, जिसके बाद बैंक प्राइवेट हाथों में चला जाएगा। आम बजट के बाद NBT को दिए गए विशेष साक्षात्कार में डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने ये बातें कहीं।

डिसइनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी

इस बार के बजट में सरकार ने अलग से डिसइनवेस्टमेंट टारगेट नहीं रखा। इसे असेट मॉनेटाइजेशन के साथ मिलाकर अन्य प्राप्तियों के मद में डाल दिया गया है और कुल 50000 करोड़ रुपये का अनुमान दिया गया। क्या कुछ खास वजहों से विनिवेश शब्द से पोज किया जा रहा है, इस सवाल के जवाब में कहा. ‘अगर हम केवल संसाधन जुटाने की नजर से सरकारी कंपनियों को देखेंगे तो इस बात से ध्यान हट सकता है कि उनके लिए क्या अच्छा हो सकता है। संसाधन जुटाने में भी कुछ समय पहले तक केवल डिसइनवेस्टमेंट पर ध्यान होता था, डिविडेंड पर उतना फोकस नहीं था। डिविडेंड भी पैसे जुटाने का महत्वपूर्ण जरिया है, लेकिन यह तभी ज्यादा मिलेगा, जब कंपनी में हिस्सेदारी रहेगी और कंपनी की हालत अच्छी होगी।

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