टमाटर के कचरे से चमड़ा बना रहा यह स्टार्टअप, इस बायो-लेदर से बनाए जा रहे जैकेट, बैग और जूते

नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा है कि टमाटर के कचरे से चमड़े जैसी कोई शीट बनाई जा सकती है? सिर्फ शीट ही नहीं, उससे जैकेट, बैग और जूते भी बनाए जा सकते हैं? लेकिन ऐसा हकीकत में हो रहा है। एक स्टार्टअप यह सब कर रहा है। इसे बायो-लेदर (Bio-Leather) नाम दिया गया है।

मिलिए 26 साल के प्रीतेश मिस्त्री से। इनकी कंपनी द बायो कंपनी (TBC) टमाटर के कचरे से बायो-लेदर बना रही है। इस कंपनी को साल 2021 में PETA वेगन फैशन अवॉर्ड्स में टेक्सटाइल में बेस्ट इनोवेशन का अवॉर्ड मिला था।

क्या है बायोलेदर?

यह प्लांट मटेरियल से बना एक प्रकार का चमड़ा होता है। बायोलेदर इन दिनों को चलन में है और यह दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता हासिल कर रहा है। प्रीतेश मिस्त्री ने टमाटर के कचरे को फैशनेबल प्रोडक्ट में बदलने का एक तरीका ईजाद किया है।टमाटर को प्राथमिक कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करते हुए पॉलीयुरेथेन (PU) और पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) से मुक्त प्रक्रिया के साथ इनकी कंपनी बायो-लेदर बना रही है। यह चमड़े के विकल्प के रूप में सामने आ रहा है। यही नहीं, बायोलेदर को बनाने में किसी भी जानवर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता।

टमाटर का ही इस्तेमाल क्यों?

बायो-लेदर बनाने के लिए टमाटर का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है, इसके पीछे भी कई कारण हैं। मिस्त्री कहते हैं कि भारत में सालाना करीब 4.40 अरब टन टमाटर का उत्पादन होता है। इसमें से 30 से 35% टमाटर बर्बाद हो जाता है।

ऐसे में प्लांट मटेरियल के रूप में टमाटर का कचरा काफी काम आता है। यह बायोलेदर के लिए एक टिकाऊ कच्चा माल प्रदान करता है। साथ ही टमाटर पेक्टिन से भरपूर होते हैं। इनसे बायो-लेदर की उम्र काफी बढ़ जाती है। साथ ही इसकी बनावट भी चमड़े जैसी हो जाती है।

कई चीजों में हो रहा इस्तेमाल

बायो-लेदर के शुरुआती अपनाने वाले फैशन, एक्सेसरीज और ऑटोमोटिव सेक्टर में फैले हुए हैं। इसमें कई ब्रांड इससे जैकेट, बैग और जूते बना रहे हैं।

टोरंटो स्थित प्लांट-बेस्ड हैंडबैग लेबल सतुहाटी की फाउंडर और सीईओ नताशा मंगवानी कहती हैं, ‘बायो-लेदर पीयू/पीवीसी फ्री है जो इसे पारंपरिक नकली चमड़े से अलग करता है। यह एक असाधारण इनोवेशन है और इसका प्लांट बेस्ड चमड़ा अपने अनूठे मूल के लिए अलग है।’

कितनी है कंपनी की कमाई?

वर्तमान में, TBC प्रति माह करीब 5,000 मीटर बायो-लेदर का निर्माण करता है। कंपनी की सालाना कमाई कितनी है, इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है। साथ ही अभी इसका भी पता नहीं चल पाया है कि कंपनी का सालाना टर्नओवर कितने रुपये का है।

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