पूजा खेडकर को 5 सितंबर तक गिरफ्तारी से राहत:दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था- आयोग के पास मेरे खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की जमानत याचिका पर सुनवाई 5 सितंबर तक टाल दी है। पूजा के जवाब पर विचार करने और नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस ने और समय मांगा है।

इसके बाद जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने पुलिस को निर्देश दिया कि आगे की कार्यवाही लंबित रहने तक खेडकर को गिरफ्तार न किया जाए।

UPSC ने 31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द किया था। आयोग ने कहा कि था कि पूजा अब भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम नहीं दे पाएंगी।

पूजा ने आयोग के इस फैसले को चुनौती दी है। 28 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा कि UPSC के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।

पूजा बोलीं- बायोमेट्रिक डेटा से मेरी पहचान वेरिफाई की
पूजा ने कहा, ‘UPSC ने 2019, 2021 और 2022 के पर्सनैलिटी टेस्ट के दौरान कलेक्ट किए बायोमेट्रिक डेटा (सिर और उंगलियों के निशान) के जरिए मेरी पहचान वेरिफाई की है। मेरे सारे डॉक्यूमेंट को 26 मई 2022 को पर्सनैलिटी टेस्ट में आयोग ने वेरिफाई किया था।’

31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द हुआ
UPSC ने बुधवार 31 जुलाई को उनका सिलेक्शन रद्द कर दिया था और कहा कि वह भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम नहीं दे पाएंगी। पूजा पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था।

UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया। पूजा को एग्जाम में 2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे 2023 बैच की ट्रेनी IAS हैं। जून 2024 से ट्रेनिंग कर रही थीं।

UPSC ने बताया था- पूजा को 2 बार समय दिया, लेकिन जवाब नहीं आया

पूजा ने रूल्स तोड़े: UPSC ने बताया कि पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के लिए 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि पूजा को 25 जुलाई तक अपना जवाब देना था, लेकिन उन्होंने अपने जवाब के लिए जरूरी दस्तावेज जुटाने के लिए 4 अगस्त तक का समय मांगा। आयोग ने कहा, उन्हें फिर 30 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे तक समय दिया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

15,000 डेटा की जांच की, यह पता नहीं चला कि पूजा ने कितने अटेम्प्ट्स दिए: खेडकर के केस के चलते UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की। इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे। मिस पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का मामला एकमात्र था। उन्होंने कई बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी, इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी। UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों।

UPSC के एक्शन के खिलाफ पूजा की 4 दलीलें
अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1954 और प्रशिक्षु नियमों के तहत कार्रवाई केवल DoPT (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ही कर सकता है, जो CSE 2022 नियमों के नियम 19 के अनुसार है।

साल 2012 से 2022 तक उनके नाम या फिर सरनेम में कोई बदलाव नहीं हुआ है और न ही UPSC को उन्होंने अपने बारे में कोई गलत जानकारी उपलब्ध कराई है।

UPSC ने बायोमेट्रिक डेटा के जरिए पहचान वेरिफाई की थी। आयोग ने किसी भी डॉक्यूमेंट को डुप्लीकेट या फर्जी नहीं पाया है।

शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्मतिथि और व्यक्तिगत जानकारी सहित अन्य सारा डेटा डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (DAF) में सही बने हुए हैं।

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