भोपाल में ग्रीन कॉरिडोर में लापरवाही… देर से पहुंची एंबुलेंस, पुलिस की गाड़ी से एम्स भेजा दिल

भोपाल। भोपाल में ग्रीन कारिडोर में पहली बार बड़ी लापरवाही सामने आई है। जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल से गुरुवार को दो ग्रीन कारिडोर बनाकर सागर निवासी ब्रेनडेड साधु बाबा (बलिराम कुशवाहा) के दिल को एयरक्राफ्ट से एम्स भोपाल और लिवर को एयर एंबुलेंस से चोइथराम अस्पताल इंदौर भेजा गया।जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पहली बार दिल और लिवर निकाला गया था। दिल को भोपाल के एम्स भेजने के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज से डुमना एयरपोर्ट तक 23 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 14 मिनट में रवाना किया गया। वहां से एयर एंबुलेंस से दिल को भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट लाया गया।

स्टेट हैंगर पर पहुंच गई एंबुलेंस

इसके बाद 21 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इसे एम्स भोपाल तक पहुंचाने की योजना थी, लेकिन एम्स भोपाल द्वारा भेजी गई एंबुलेंस राजाभोज एयरपोर्ट की जगह स्टेट हैंगर पहुंच गई।

समय की नाजुकता को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने तुरंत हस्तक्षेप किया और अपने वाहन से हृदय को एम्स पहुंचाया। इधर, एम्स भोपाल के अधिकारियों ने इस लापरवाही पर सफाई देते हुए कहा कि गलत संचार और भ्रम के कारण एंबुलेंस गलत स्थान पर पहुंच गई।

इंदौर में बना 61वां ग्रीन कॉरिडोर

वहीं लिवर के लिए तिलवारा के पास कोकिका रिपोर्ट के मैदान पर हेलीपेड बनाया गया। लिवर से इंदौर में 61वां ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 44 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया गया। उनकी किडनी फेल होने के कारण इस्तेमाल नहीं की जा सकी।

मध्य प्रदेश में पहली बार हुआ हार्ट ट्रांसप्लांट

मध्य प्रदेश ने पहली बार हृदय प्रत्यारोपण में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। एम्स भोपाल ने भी अपना पहला हृदय प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह हृदय इटारसी के 53 वर्षीय मरीज को प्रत्यारोपित किया गया, जिनका इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, एम्स भोपाल के चार डाक्टरों की टीम रात 12 बजे जबलपुर के लिए रवाना हुई थी। एम्स भोपाल के निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह ने बताया कि एम्स भोपाल को हार्ट और लंग्स ट्रांसप्लांट की मंजूरी छह महीने पहले ही मिली थी। इससे पहले प्रदेश के अस्पतालों में मुख्य रूप से बोन मैरो, किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट ही होते थे।

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