भोपाल में बने दो ग्रीन कॉरिडोर, पांच मरीजों के जीवन को मिला नया सहारा

 भोपाल। राजधानी में 73 साल के बुजुर्ग ने अपनी मृत्यु के साथ पांच जिंदगियों को रोशन कर गए। शुक्रवार को राजधानी में दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। ब्रेनडेड किडनी और लिवर को दूसरे अस्पताल में भेजा गया। इसमें एक किडनी को बंसल अस्पताल से एम्स अस्पताल भेजा गया और लिवर को इंदौर भेजा गया। दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में ही एक मरीज को प्रत्यारोपित की गई।

वहीं दोनों आंखों को गांधी मेडिकल कॉलेज को दान दिया गया। बंसल और एम्स में शुक्रवार शाम को किडनी प्रत्यारोपण किया गया। वहीं लिवर को इंदौर में देर रात ट्रांसप्लांट किया जा सका। ग्रीन कॉरिडोर से लिवर को महज 45 मिनट में इंदौर पहुंचा दिया गया।

पुत्र ने दी अंगदान की सहमति

जानकारी अनुसार बुधनी निवासी गिरीश यादव को एक सप्ताह पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। जिस वजह से उनके परिजनों ने उन्हें भोपाल लाकर बंसल अस्पताल में भर्ती कराया था। गुरुवार को चिकित्सकों ने मरीज को ब्रेनडेड घोषित कर दिया। गिरीश के बड़े बेटे विनय यादव ने चिकित्सकों के परामर्श पर अपने पिता के अंगों को दान करने का निर्णय लिया।
विनय ने बताया कि उनके पिता गिरीश यादव बुधनी में एडवोकेट थे और अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई व समाज सेवा में खर्च किया। साथ ही वह बुधनी कांग्रेस में सक्रिय सदस्य थे। वे हमेशा कहते थे कि जिंदगी वही जो मृत्यु के बाद भी किसी के काम आए। उन्हीं से प्रेरणा लेकर हमने दूसरी जिंदगियों को बचाने के लिए अंगदान का फैसला किया।

21 साल की युवती का प्रत्यारोपण

जानकारी के मुताबिक चिकित्सकों की टीम ने तमाम तरह की जांचें करने के बाद मरीज को ब्रेनडेड घोषित किया गया। इसके बाद शुक्रवार को पूरी प्रक्रिया शुरू हुई। दो किडनी में से एक किडनी भोपाल एम्स में दी गई, जहां एक 21 वर्षीय युवती का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। दूसरी किडनी अस्पताल में ही एक मरीज को दी गई, जबकि लिवर इंदौर में किसी मरीज को दिया जा रहा है।

हार्ट नहीं हो पाया डोनेट

ग्रीन कारिडोर से लिवर को महज 45 मिनट में इंदौर पहुंचा दिया गया। चिकित्सक मरीज का हार्ट डोनेट करना चाहते थे, लेकिन मरीज की उम्र 73 वर्ष थी। जिस कारण उनके हार्ट का डोनेशन नहीं हो सका। चिकित्सकों ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण मरीज के बाकी अंग तो ठीक थे, लेकिन हार्ट पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा था। यही कारण रहा कि हार्ट किसी के काम नहीं आ सका।

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