मणिपुर CM बोले- मैं इस्तीफा क्यों दूं, घोटाला नहीं किया:मोदी पर कहा- उनका आना जरूरी नहीं था

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अगले छह महीने में राज्य में शांति बहाल करने का दावा किया है। उन्होंने CM पद से इस्तीफे की आशंका को लेकर कहा, ‘इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है। मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? कोई घोटाला किया है?’

बीरेन सिंह ने गुरुवार (29 अगस्त) को न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर नहीं जाने के सवाल पर कहा कि तनाव के बीच उनका आना जरूरी नहीं था। PM संसद में दो बार हिंसा पर अपनी बात रख चुके हैं।

CM ने मणिपुर लोकसभा की दोनों सीटें गंवाने, भाजपा की लोकप्रियता में कमी, ड्रग्स और अवैध प्रवासियों के खिलाफ सरकार के प्रयासों सहित कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि कुकी और मैतेई के बीच सुलह के लिए उन्होंने डेलीगेट नियुक्त किया है।

सवाल: क्या जातीय हिंसा के कारण मणिपुर में भाजपा की लोकप्रियता में कमी आई है?
CM बीरेन सिंह: 
नहीं, भाजपा की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। मेरी लोकप्रियता कम हुई है। इसके पीछे लोगों की भावनाएं हैं। जैसे मुख्यमंत्री होने के बावजूद बीरेन सिंह हिंसा का जवाब नहीं दे रहे हैं। मैं मानता हूं कि जवाबी कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। बातचीत से समाधान निकलेगा।

आप ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की तस्वीरें, वीडियो देख सकते हैं। पूरे पूर्वोत्तर मणिपुर में यह अभियान सबसे अच्छा रहा। मैं यह गर्व से कह सकता हूं। विपक्ष ने लोगों को गुमराह करके, मुझे, PM मोदी, गृह मंत्री अमित शाह को गाली देकर लोकसभा की दो सीटें जीती हैं। अब हमने जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है और लोगों को सच्चाई समझ में आने लगी है।

सवाल: कुकी समुदाय अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
CM बीरेन सिंह: 
हम ऐसा नहीं होने देंगे। मणिपुर बहुत छोटा राज्य है। हमारा 2,000 साल पुराना इतिहास है। मेरे पूर्वजों ने राज्य को बनाने के लिए बलिदान दिया है। हम इस राज्य को तोड़ना नहीं चाहते। राज्य सरकार विकास की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है। पहाड़ी इलाकों का विकास करना जरूरी है। हम प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी यही अपील करेंगे।

सवाल: क्या प्रधानमंत्री मोदी के जाने से हिंसा रोकने में मदद मिलती?
CM बीरेन सिंह: 
लोगों ने PM मोदी के मणिपुर आने, नहीं आने को मुद्दा बना दिया है। PM यहां नहीं आए, लेकिन उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को भेजा। प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में तीन बार बात की। पहली बार 23 जुलाई, फिर 10 अगस्त और 15 अगस्त को। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में भी इसके बारे में बात की। उन्होंने संसद में दो बार सब कुछ साझा किया।

मैं चाहता हूं कि वह आएं, लेकिन इस स्थिति के बीच न आएं। समस्या दो समुदायों के बीच नहीं थी। असल मुद्दा ड्रग्स, अवैध प्रवासियों का पता लगाना था। हमने वन क्षेत्रों से अफीम के बागानों को खत्म कर दिया। हालांकि, हिंसा का मुख्य कारण हाई कोर्ट का आदेश था। मुझे लगता है कि ऐसे तनाव की स्थिति के बीच PM का आना जरूरी नहीं था।

हाई कोर्ट का वो आदेश, जिसका CM ने जिक्र किया
मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च 2023 में मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की सिफारिश की। इससे कुकी लोगों में गुस्सा और बढ़ गया। उन्हें लगा कि उनके अधिकारों को कम किया जा रहा है।

हालांकि, सरकार ने कोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया, लेकिन तब तक कुकी छात्र समूहों ने आंदोलन शुरू कर दिया। बहुत जल्द यह हिंसा में बदल गया। हाई कोर्ट ने खुद इस साल फरवरी में अपने आदेश से ST दर्जे वाले पैराग्राफ को वापस ले लिया। हिंसा के बावजूद मणिपुर नहीं जाने के लिए विपक्ष लंबे समय से पीएम मोदी की आलोचना कर रहा है।

सवाल: क्या आपने शांति बहाल करने के लिए कोई समय सीमा तय की है?
CM बीरेन सिंह: 
केंद्रीय गृह मंत्री के नेतृत्व में हमने बातचीत शुरू की है। मैतेई और कुकी विधायकों ने मुलाकात की है। राज्य सरकार भी शांति स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। हालांकि, फिनिशिंग टच केंद्र ही दे सकती है। मैं इसे लंबा नहीं खींचना चाहता हूं। इसे 5-6 महीने के भीतर खत्म करना होगा। गृह मंत्री इस पर बहुत काम कर रहे हैं। वह हर हफ्ते 1-2 बैठकें कर रहे हैं।

सवाल: आपका एक ऑडियो टेप सामने आया था, जिसमें कुकी पर बमबारी की बात हो रही थी। इस पर क्या कहेंगे?
CM बीरेन सिंह: 
कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं। यह एक साजिश है। मामला कोर्ट में है। मैं इस बारे में ज्यादा बात नहीं करूंगा। FIR दर्ज हो गई है।

मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत
मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा की अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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