शहर में जगह जगह नौनिहालों के नाम पर मांगते हैं भीख, फिर नशे में उड़ा देत हैं

भोपाल। शहर में भिक्षावृत्ति में लिप्त गिरोह द्वारा बच्चों के नाम पर सहानुभूति दिखाकर भीख में अधिक से अधिक रकम ली जाती है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जिन बच्चों के नाम पर भीख ली जाती है, वह उनके ही काम नहीं आती है। उनको कुछ भी रूखा सूखा खिलाकर सुला दिया जाता है। इसके बाद भीख में मिली राशि का भिक्षावृत्ति में संलिप्त महिला, पुरुष हिसाब करते हैं और देर रात तक मनमाफिक नशा करते हैं। इस तरह भीख का पूरा पैसा नशे में उड़ा दिया जाता है।
सबसे अधिक करते हैं इस नशीले पदार्थ का सेवन
शहर में भीख मांगने वाले महिला, पुरुष का ठिकाना रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड, फुटपाथ, धार्मिक स्थलों के आसपास आदि जगह पर होता है। यह यहां पर संगठित होकर रहते हैं, यह लोग भीख के पैसे से सबसे अधिक तंबाकू युक्त गुटके,गांजा युक्त बीड़ी सिगेरट, कच्ची शराब, पंचर जोड़ने वाले सिलोचन आदि का नशा करते हैं।इनमें से कुछ नशीले पदार्थ 20 से 30, कुछ 50 से 100 रुपये में आसानी से मिल जाते हैं। यही कारण है कि इस तरह के नशीले पदार्थों का नशा करने के बाद यह रातभर बेसुध हो जाते हैं। कई बार तो वर्षा के दिनों में अधिक नशा करने से नाले या नली में गिरने से मौत तक हो जाती है।
रेलवे स्टेशन के पास मिले नशा करते हुए
शहर में रेलवे स्टेशन के आसपास पटरी के किनारे सुनसान जगह पर यह अपना ठिकाना बनाते हैं। यहां पर आसानी से अपने कपड़ों में मादक पदार्थ लगाकर उसका नशा करते हैं।नवदुनिया की टीम ने रेलवे स्टेशन के आसपास पड़ताल की तो वहां पर भीख मांगने वाली एक महिला शिशु को अपनी गोद में लिए हुए थी और वह दुपट्टे में मादक पदार्थ लगाकर नशा कर रही थी।इतना ही नहीं एक युवक ने अधिक नशा कर लिया तो वह बेसुध हो गया,जबकि एक अन्य युवक नशा करने के साथ ही बेसुध हुए साथी को लगातार उठाने का प्रयास करता रहा।
सख्ती के बिना नहीं मिलेगी कामयाबी
शहर में बढ़ती भिक्षावृत्ति का मुख्य कारण गरीबी है। इसे रोकने के लिए भीख मांग रहे महिला,पुरुषों की पहचान कर उनके नाम सूचीबद्ध किए जाने चाहिए। वह भोपाल के हैं या फिर अन्य जिले के हैं और उनका संबंध कैसे परिवारों से हैं। यह पता लगाने के बाद उनकी उचित मदद की जानी चाहिए और जो कमजोर और गरीब परिवार से हैं उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए।इस कार्य को सख्ती से किया जाना चाहिए।
अर्चना सहाय,संचालक, आरंभ संस्था
जो बच्चों के नाम पर भीख मांगते हैं और बाद में उस पैसे से नशा करते हैं।भिक्षावृत्ति और नशामुक्ति पर तब तक अंकुश नहीं लगाया जा सकता है। जब तक बच्चों को लेकर घूम रहे महिला, पुुुरुषों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उनका रिकार्ड तैयार नहीं किया जाता है।यह एक दो महीने नहीं बल्कि शहर में पिछले कई वर्षों से जारी है।
सैयद खालिद कैस, एडवोकेट
इनका कहना है
शहर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए सभी आठों तहसील के एसडीएम को सर्वे करने का निर्देश दिया गया है।यह सर्वे अभी जारी है,यदि शहर में महिलाओं और पुरुषों के द्वारा बच्चों को आगे कर भीख मांगा जा रहा है तो उनका भी रिकार्ड तैयार कराया जाएगा।इस रिकार्ड के आधार पर उनकी पहचान और पड़ताल करने के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।जिससे बच्चों का भविष्य बचाया जा सके।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर