सीएस ने दिए जांच के आदेश:बोले- करोड़ों की कंसल्टेंसी, फिर भी मेट्रो स्टेशन की ऊंचाई कम, ROB टकरा रहा
मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान आई दो बड़ी खामियों पर अब कार्रवाई की तैयारी है। नए मुख्य सचिव अनुराग जैन ने गुरुवार को जिम्मा संभालने के तुरंत बाद अपर मुख्य सचिव (एसीएस), प्रमुख सचिव (पीएस) और कुछ सचिवों की बैठक बुलाई। जैन ने कहा कि मेट्रो रेल का एक स्टेशन ऐसा बना है कि नीचे जाने वाले डंपर व बड़ी गाड़ियां उससे टकरा जाती हैं।
सीएस ने कहा कि एक जगह ऐसा भी सामने आया है कि रेलवे ओवर ब्रिज और मेट्रो रेल का अलाइनमेंट एक ही जगह हो गया है। आखिर कंसलटेंट कौन था, डीपीआर किसने बनाई और सर्वे का काम कौन कर रहा था? यह छोटी गड़बड़ियां नहीं हैं। यह काम डीपीआर बनते समय देखना चाहिए था। इसमें जिम्मेदारी तय हो और कार्रवाई की जाए। सीएस ने कहा कि डिजाइन फिजिबल हो और ऊंचाई, लंबाई व चौड़ाई नाप कर सर्वे का काम अफसर का नहीं है, यह काम शुरूआत में होना चाहिए था।
बता दें कि मेट्रो रेल से जुड़ी दोनों बड़ी खामियों का खुलासा दैनिक भास्कर ने ही किया था। इसमें बताया था कि एमपी मेट्रो स्टेशन जमीन से सिर्फ 4.5 मीटर ऊंचा रखा गया है। नीचे से डंपर भी गुजरा तो फंस जाएगा। वहीं, दूसरी खबर में बताया था कि निर्माण के बाद पता चला कि ऐशबाग आरओबी के रूट पर मेट्रो आ रही है। इसके बाद पीडब्ल्यूडी को एक पिलर दूसरी जगह लगाना पड़ा। साफ है कि नए मुख्य सचिव के इस तेवर के बाद अब डीपीआर बनाने वाली एजेंसी ब्लैक लिस्ट हो सकती है।
सर्वे करने वाले, उसे चैक करने वाले भी नहीं बचेंगे। संभावना है कि एमडी मेट्रो को जांच की जवाबदारी दी जा सकती है। मुख्य सचिव जैन ने मंत्रालय में करीब ढाई घंटे बैठक की। शुरुआत में उन्होंने साफ कर दिया कि वे अभी किसी का परिचय नहीं लेंगे। क्योंकि वे ज्यादातर को जानते हैं। सचिवों से बाद में अलग से मिल लेंगे। जैन ने सभी से उनके प्रमुख काम पूछे। कृषि उत्पादन आयुक्त मो. सुलेमान ने सोयाबीन की खरीदी के लिए पैसों की जरूरत की बात बताई। एसीएस-पीएस के अलावा जैन ने सिर्फ स्कूल शिक्षा के सचिव संजय गोयल से बात की।
खुद भी काम करें अफसर, कंसलटेंट के भरोसे न रहें
मुख्य सचिव ने आईएएस अफसरों को यह भी स्पष्ट किया कि वे कंसलटेंट पर निर्भर न रहें। अपना प्रजेंटेशन खुद बनाएं। कंसलटेंट ज्ञान देता है, पर समस्या का समाधान अफसरों को ही निकालना है। बैलेंस कैसे बनेगा, यह काम अफसरों का है। इसलिए खुद भी काम करें और टीम से भी कराएं। देश-विदेश में जो भी बेस्ट पॉलिसी है, उसकी तुलना जरूर करें। जैन ने प्रधानमंत्री के साथ काम करने के अनुभव भी बताए।
मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान आई दो बड़ी खामियों पर अब कार्रवाई की तैयारी है। नए मुख्य सचिव अनुराग जैन ने गुरुवार को जिम्मा संभालने के तुरंत बाद अपर मुख्य सचिव (एसीएस), प्रमुख सचिव (पीएस) और कुछ सचिवों की बैठक बुलाई। जैन ने कहा कि मेट्रो रेल का एक स्टेशन ऐसा बना है कि नीचे जाने वाले डंपर व बड़ी गाड़ियां उससे टकरा जाती हैं।
सीएस ने कहा कि एक जगह ऐसा भी सामने आया है कि रेलवे ओवर ब्रिज और मेट्रो रेल का अलाइनमेंट एक ही जगह हो गया है। आखिर कंसलटेंट कौन था, डीपीआर किसने बनाई और सर्वे का काम कौन कर रहा था? यह छोटी गड़बड़ियां नहीं हैं। यह काम डीपीआर बनते समय देखना चाहिए था। इसमें जिम्मेदारी तय हो और कार्रवाई की जाए। सीएस ने कहा कि डिजाइन फिजिबल हो और ऊंचाई, लंबाई व चौड़ाई नाप कर सर्वे का काम अफसर का नहीं है, यह काम शुरूआत में होना चाहिए था।
बता दें कि मेट्रो रेल से जुड़ी दोनों बड़ी खामियों का खुलासा दैनिक भास्कर ने ही किया था। इसमें बताया था कि एमपी मेट्रो स्टेशन जमीन से सिर्फ 4.5 मीटर ऊंचा रखा गया है। नीचे से डंपर भी गुजरा तो फंस जाएगा। वहीं, दूसरी खबर में बताया था कि निर्माण के बाद पता चला कि ऐशबाग आरओबी के रूट पर मेट्रो आ रही है। इसके बाद पीडब्ल्यूडी को एक पिलर दूसरी जगह लगाना पड़ा। साफ है कि नए मुख्य सचिव के इस तेवर के बाद अब डीपीआर बनाने वाली एजेंसी ब्लैक लिस्ट हो सकती है।
सर्वे करने वाले, उसे चैक करने वाले भी नहीं बचेंगे। संभावना है कि एमडी मेट्रो को जांच की जवाबदारी दी जा सकती है। मुख्य सचिव जैन ने मंत्रालय में करीब ढाई घंटे बैठक की। शुरुआत में उन्होंने साफ कर दिया कि वे अभी किसी का परिचय नहीं लेंगे। क्योंकि वे ज्यादातर को जानते हैं। सचिवों से बाद में अलग से मिल लेंगे। जैन ने सभी से उनके प्रमुख काम पूछे। कृषि उत्पादन आयुक्त मो. सुलेमान ने सोयाबीन की खरीदी के लिए पैसों की जरूरत की बात बताई। एसीएस-पीएस के अलावा जैन ने सिर्फ स्कूल शिक्षा के सचिव संजय गोयल से बात की।
खुद भी काम करें अफसर, कंसलटेंट के भरोसे न रहें मुख्य सचिव ने आईएएस अफसरों को यह भी स्पष्ट किया कि वे कंसलटेंट पर निर्भर न रहें। अपना प्रजेंटेशन खुद बनाएं। कंसलटेंट ज्ञान देता है, पर समस्या का समाधान अफसरों को ही निकालना है। बैलेंस कैसे बनेगा, यह काम अफसरों का है। इसलिए खुद भी काम करें और टीम से भी कराएं। देश-विदेश में जो भी बेस्ट पॉलिसी है, उसकी तुलना जरूर करें। जैन ने प्रधानमंत्री के साथ काम करने के अनुभव भी बताए।
यह भी कहा- 75 खनिज पट्टे तो दे दिए… पर मंजूरी के लिए अटके हैं
वीएल कांताराव से मिली जानकारी पर जैन ने ली क्लास… केंद्र में खजिन सचिव व मप्र कैडर के अधिकारी वीएल कांताराव से मिली जानकारी पर जैन ने मप्र के अधिकारियों की क्लास ली। उन्होंने कहा- कांताराव ने बताया कि मप्र ने मेजर मिनरल के 75 पट्टे दे दिए, यह देश में सर्वाधिक है। लेकिन सभी पर्यावरण, वन या अन्य मंजूरियों में अटके हैं। इसे हमें खनिज पट्टे देते वक्त स्पष्ट करना था । यही स्थिति पर्यटन व इंडस्ट्री में भी है। निवेशक से एग्रीमेंट हो जाए तो बाद में वन, पर्यारण, बिजली या राजस्व की स्वीकृति के लिए वह भटकता है।
मेरा भी लाभ लो…
दिल्ली में हर स्कीम का कुछ राज्य ज्यादा लाभ ले रहे हैं। कोशिश करें कि केंद्र की योजनाओं से मप्र में भी अच्छी राशि आए। जहां जरूरत हो, मेरी मदद लो।
वीएल कांताराव से मिली जानकारी पर जैन ने ली क्लास… केंद्र में खजिन सचिव व मप्र कैडर के अधिकारी वीएल कांताराव से मिली जानकारी पर जैन ने मप्र के अधिकारियों की क्लास ली। उन्होंने कहा- कांताराव ने बताया कि मप्र ने मेजर मिनरल के 75 पट्टे दे दिए, यह देश में सर्वाधिक है। लेकिन सभी पर्यावरण, वन या अन्य मंजूरियों में अटके हैं। इसे हमें खनिज पट्टे देते वक्त स्पष्ट करना था । यही स्थिति पर्यटन व इंडस्ट्री में भी है। निवेशक से एग्रीमेंट हो जाए तो बाद में वन, पर्यारण, बिजली या राजस्व की स्वीकृति के लिए वह भटकता है।