सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से वापसी टली:रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम में खराबी

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से वापसी टल गई है। NASA ने तकनीकी खराबी के चलते स्पेस स्टेशन के लिए नए क्रू को लेकर जा रहे मिशन क्रू 10 को टाल दिया है।
इस मिशन को कल यानी 12 मार्च को स्पेसएक्स के रॉकेट फाल्कन 9 से लॉन्च किया जाना था। इसमें चार अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होने वाले थे।
इनमें दो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापान के टाकुया ओनिशी (JAXA) और रूस के के अंतरिक्ष यात्री किरिल पेस्कोव (रोस्कोस्मोस) शामिल हैं। ये चारों पिछले 9 महीने से स्पेस स्टेशन में फंसे सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की जगह लेते।
स्पेस स्टेशन का हैंडओवर देने के बाद सुनीता विलियम्स और अन्य 3 साथी 16 मार्च को स्पेस स्टेशन से रवाना होते। हालांकि अब इसमें देरी आ गई है। क्रू 10 मिशन को टालने की वजह उसके रॉकेट के ग्राउंड सपोर्ट क्लैम्प आर्म में हाइड्रोलिक सिस्टम में आई खराबी थी।
मस्क की स्पेसएक्स के पास वापस लाने की जिम्मेदारी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पेस एक्स के CEO इलॉन मस्क से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर को वापस लाने का काम सौंपा है।
ट्रम्प ने जनवरी में सोशल मीडिया पर लिखा- मैंने मस्क से उन दो ‘बहादुर अंतरिक्ष यात्रियों’ को वापस लाने को कहा है। इन्हें बाइडेन प्रशासन ने अंतरिक्ष में छोड़ दिया है। वे अंतरिक्ष स्टेशन पर कई महीनों से इंतजार कर रहे हैं। मस्क जल्द ही इस काम में लग जाएंगे। उम्मीद है कि सभी सुरक्षित होंगे।
मस्क ने इसके जवाब में कहा कि हम ऐसा ही करेंगे। यह भयानक है कि बाइडेन प्रशासन ने उन्हें इतने लंबे वक्त तक वहां छोड़ रखा है।
सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था?
सुनीता और बुच विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुच विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।
लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।
एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।
सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए?
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।
NASA ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पाए।