10 संभागों के लिए 10 आईएएस बनाए गए प्रभारी:राजौरा को उज्जैन, मंडलोई को नर्मदापुरम, संजय दुबे को जबलपुर और अनुपम राजन को इंदौर का जिम्मा

राज्य शासन ने संभाग स्तर पर विकास कार्यों की समीक्षा, योजनाओं के क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग के लिए अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों की जिम्मेदारी तय की है। इसके लिए नए सिरे से अपर मुख्य सचिवों को संभागों का आवंटन किया गया है।
जहां राज्य सरकार की सभी तरह की योजनाओं और मुख्यमंत्री के प्राथमिकता वाले कामों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी इन अफसरों की रहेगी। इस तरह की संभागीय मॉनिटरिंग की व्यवस्था सरकार ने पहले से लागू कर रखी है। इस नए आदेश में कई नए अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मोहन यादव सरकार बनने के बाद संभाग स्तर पर समीक्षा के लिए सवा साल पहले संभाग स्तर पर अफसरों की तैनाती की गई थी। इसमें से कई अपर मुख्य सचिव पूर्व में रिटायर हो चुके हैं और जेएन कंसोटिया इसी माह रिटायर होने वाले हैं। इसलिए सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय की अनुमति के बाद संभागों का आवंटन प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसरों को नए सिरे से किया गया है।
दस संभागों में से आठ संभागों में अपर मुख्य सचिव और दो संभागों में प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों को संभागीय प्रभारी बनाया गया है। मुख्यमंत्री के पूर्व अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा और वर्तमान अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई को भी संभागीय व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजौरा के पास पहले से उज्जैन संभाग का जिम्मा था और अभी भी वे वहां का काम देखेंगे।
संभागों में ये काम करेंगे अधिकारी
- संभाग स्तर पर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कराना।
- जिलों में अगर कोई विषय राज्य स्तर के विभिन्न विभागों के समन्वय से संबंधित है तो उस संबंध में विभागों से समन्वय कराकर निराकरण कराना और इसे मुख्य सचिव के संज्ञान में लाना।
- दो माह में कम से कम एक बार संभाग के जिलों का भ्रमण करना और हर माह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संभागीय विकास कार्यों की समीक्षा करना।
- मुख्यमंत्री द्वारा संभाग के अंतर्गत जिलों के संबंध में समय-समय पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन कराना।
- जिलों में चिह्नित प्रमुख योजनाओं, परियोजनाओं और विकास कार्यों की मॉनिटरिंग और सुपरविजन करना।
- मुख्यमंत्री द्वारा संभाग स्तर पर ली जाने वाली बैठकों में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना।