मध्य प्रदेश में सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों के 7,498 पद खाली, अतिथि विद्वानों से चलाया जा रहा काम

भोपाल। प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर तमाम दावे किए जाते हैं लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों के 12,895 पद हैं, जिनमें से 7,498 पद खाली हैं। 4, 015 पदों पर अतिथि विद्वानों को रखकर काम चलाया जा रहा है। यही स्थिति प्रदेश के 17 सरकारी विश्वविद्यालयों की भी है। इनमें 1,069 सहायक प्राध्यपकों के पद स्वीकृत है लेकिन 793 खाली हैं। पांच में तो एक भी सहायक प्राध्यापक नहीं है। यह जानकारी उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सोमवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय और संजय उइके के प्रश्नों के लिखित उत्तर में दी।
- जौरा से विधायक पंकज उपाध्यक्ष ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों की स्थिति को लेकर प्रश्न किया।
- इसके लिखित उत्तर में विभागीय मंत्री ने बताया कि सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों के 12,895 पद स्वीकृत हैं। इनमें केवल 5,397 ही भरे हैं।
- रिक्त पदों पर अतिथि विद्वानों को रखकर अध्यापन का काम कराया जा रहा है।
- सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल एवं क्रीड़ा अधिकारी के रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वानों को दो हजार रुपये प्रति दिवस एवं अधिकतम पचास हजार रुपये माह का मानदेय भुगतान किया जाता है।
- अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण या पीएफ, बीमा, चिकित्सा सुविधा आदि देने की योजना का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
- राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा, क्रांतिवीर तात्या टोपे विश्वविद्यालय गुना, क्रांति सूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय खरगोन, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर और रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय सागर में एक भी सहायक प्राध्यपक नहीं है।
ग्रंथपाल के 346 पद खाली
प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में ग्रंथपाल के 582 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 236 भरे हुए हैं यानी 346 खाली हैं। यह पद आउटसोर्स एवं जनभागीदारी से नहीं भरे जाते हैं। अतिथि विद्वानों से इसकी पूर्ति की जा रही है।