जापान के नागासाकी पर परमाणु हमले के 80 साल पूरे:दुनिया में आखिरी बार न्यूक्लियर बम यहीं गिरा

जापान के नागासाकी में शनिवार को अमेरिकी परमाणु हमले की 80वीं बरसी मनाई गई। इस मौके पर हमले से बचे हुए लोगों ने कहा कि उनका शहर दुनिया का आखिरी स्थान बने, जहां परमाणु बम गिरा हो।

9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था। इसमें करीब 70000 लोग मारे गए। इस बम का नाम फेटमैन था।

इससे तीन दिन पहले यानी 6 अगस्त को अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। इस बम का नाम लिटिल बॉय था। इसमें 1.4 लाख लोगों की मौत हुई थी।

इन हमलों के बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने सरेंडर कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो गया।

चीन ने समारोह में शामिल होने से इनकार किया

नागासाकी प्रशासन ने सभी देशों को समारोह में शामिल होने का निमंत्रण भेजा था। हालांकि चीन ने बिना कारण बताए आने से इनकार कर दिया।

नागासाकी पीस पार्क में आयोजित समारोह में 95 देशों के प्रतिनिधि, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और नागासाकी के मेयर शिरो सुजुकी मौजूद रहे। कुल 3 हजार से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

पिछले साल यह कार्यक्रम विवाद में आ गया था क्योंकि जापान ने इजराइल को आमंत्रित नहीं किया था। जिसके चलते अमेरिकी राजदूत और कई पश्चिमी देशों के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे।

हमलों से बचे 99 हजार लोग अभी भी जिंदा

इन परमाणु हमलों से बचे 99,130 लोग अभी भी जिंदा है। इन्हें हिबाकुशा कहा जाता है। 1945 के मुकाबले इनकी संख्या सिर्फ एक चौथाई रह गई है और औसत उम्र 86 साल से अधिक है।

जिंदा बचे लोगों में से कई लोग हमले के वक्त इतने छोटे थे कि उनकी यादें भी धुंधली हैं। बावजूद इसके वे परमाणु हथियारों के खत्म होने का सपना देख रहे हैं।

अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर बम क्यों गिराया?

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होते-होते जापान और अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए। खासकर तब जब जापान की सेना ने ईस्ट-इंडीज के तेल-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा करने के इरादे से इंडो-चाइना को निशाना बनाने का फैसला किया। इसलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने आत्मसमर्पण के लिए जापान पर परमाणु हमला किया।

हैरी एस ट्रूमैन उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उन्होंने चेतावनी दी थी, “जापान या तो समर्पण करे या तत्काल और पूरी तरह से विनाश के लिए तैयार रहे। हम जापान के किसी भी शहर को हवा से ही मिटा देने में सक्षम हैं।’’ 26 जुलाई को जर्मनी में पोट्सडैम की घोषणा हुई थी, जिसमें जापान को आत्मसमर्पण के लिए चेतावनी दी गई।

हालांकि, इसे लेकर अन्य सिद्धांत हैं। परमाणु हमला कर जापान को समर्पण के लिए मजबूर करने की जरूरत नहीं थी। एक इतिहासकार गर अल्परोवित्ज ने 1965 में अपनी एक किताब में तर्क दिया है कि जापानी शहरों पर हमला इसलिए किया गया ताकि युद्ध के बाद सोवियत संघ के साथ राजनयिक सौदेबाजी के लिए मजबूत स्थिति हासिल हो सके।

हालांकि, परमाणु हमले के तत्काल बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था।

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