राष्ट्रपति बाइडेन को क्यों सता रहा इस्लामोफोबिया, किस बात का है डर

 वॉशिंगटन

 इजरायल-हमास युद्ध का आज 22 वां दिन है। इजरायली हमले से गाजा पट्टी तबाह हो चुकी है। सैटेलाइट तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि गाजा पट्टी के कई कस्बे और शहर खंडहर बन चुके हैं और वहां सिर्फ मलबा बचा है। ईरान, तुर्की, पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों और यूरोपीय देशों ने गाजा पट्टी में इजरायली हमले रोकने और वहां युद्ध-स्तर पर राहत और मदद पहुंचाने की अपील की है। भारत ने भी ऐसी मदद भेजी है और दोनों पक्षों से शांति की अपील की है।

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के साथ गाजा के ताजा हालात पर चर्चा की है। इस मामले से परिचित दो स्रोतों का हवाला देते हुए CNN की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के नेताओं के साथ एक बैठक की है। यह कदम हमास के हमले के जवाब में इजरायली आक्रमण को समर्थन देने की बाइडेन की रणनीति और अरब एवं मुस्लिम अमेरिकियों के बीच बाइडेन प्रशासन के खिलाफ बढ़ते रोष के बीच उठाया गया है।

अरब और मुस्लिम देशों ने फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा पर चिंता जताई है और गाजा पट्टी में संघर्ष विराम की अपील की है। मुस्लिम वर्ल्ड में जो बाइडेन की इस बात के लिए भी आलोचना हो रही है क्योंकि उन्होंने एक दिन पहले ही कहा था कि उन्हें हमास द्वारा संचालित गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए मौत के आंकड़ों पर "कोई भरोसा नहीं" है। सीएनएन के मुताबिक, व्हाइट हाउस की बैठक में इस्लामोफोबिया से निपटने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इस्लामोफोबिया में क्यों बाइडेन?
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जो बाइडेन ने ताजा घटनाक्रम में अचानक मुस्लिम-अमेरिकी समुदाय से मुलाकात की है। दरअसल, अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। ऐसे में जो बाइडेन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी को मुस्लिम समुदाय और कई एशियाई समुदायों के नाराज होने का खतरा उठाना पड़ सकता है। इस लिहाज से माना जा रहा है कि बाइडेन ने मुस्लिम समुदाय के नेताओं से गाजा-फिलिस्तीन के मुद्दे पर चर्चा की है।

एक दिन पहले ही बाइडेन ने इजरायल को भी झटका देते हुए दो टूक संदेश दिया कि वह हमास के आतंकी हमलों के खिलाफ कार्रवाई में भले ही साथ हो लेकिन स्थाई समाधान के लिए वह टू नेशन थ्योरी का ही समर्थन करेगा और इजरायल की विस्तारवादी नीति को हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा।

अमेरिका में कितने मुसलमान?
वैसे तो अमेरिका में मुसलमानों की आबादी कुल अमेरिकी आबादी में करीब एक फीसदी से थोड़ा ज्यादा (1.3 फीसदी) का हिस्सा है लेकिन मिशिगन, ओहियो, टेक्सास, वर्जीनिया और जॉर्जिया जैसे कई स्विंग राज्यों में उसकी अच्छी खासी आबादी केंद्रित हैं। यूएस में मुस्लिम अमेरिकी समुदाय बढ़ती आबादी हैं। 2017 के आकड़े के मुताबिक, अमेरिका में सभी उम्र के करीब 34.5 लाख मुस्लिम हैं, जिसमें 21.5 लाख वयस्क आबादी है। अमेरिका में मुस्लिम समुदाय बड़ी संख्या में अप्रवासी हैं, जो दुनिया भर से आकर वहां बसे हैं।

औसतन, मुस्लिम अमेरिकी कुल अमेरिकी आबादी की तुलना में काफी युवा है। यानी उनका लंबे समय तक राजनीति और अन्य मामलों पर पकड़ बनी रह सकती है। अल जजीरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा ट्रेंड के एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक अमेरिका में मुस्लिम समुदाय की आबादी 80 लाख तक हो सकती है जो कुल आबादी का 2.1 फीसदी हिस्सा हो जाएगा।

अमेरिका में कहां से आए कितने मुसलमान?
अमेरिका में किसी एक देश या महाद्वीप से आकर मुस्लिम नहीं बसे हैं बल्कि लंबे कालखंड में कई देशों से मुस्लिमों का यहां आना और बसना जारी रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में आकर बसे मुस्लिमों में करीब 20 फीसदी दक्षिणी एशिया से आकर बसे हैं। इसी तरह मिडिल-ईस्ट से 14 फीसदी और एशिया-प्रशांत क्षेत्र से करीब 13 फीसदी मुस्लिम आकर यहां बसे हैं।

देश के आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा 11 फीसदी मुस्लिम ईरान से आकर अमेरिका में बसे हैं। उसके बाद दूसरे नंबर पर भारत आता है, जहां की करीब 7 फीसदी मुस्लिम आबादी है। इसी तरह अफगानिस्तान (6%), बांग्लादेश (6%), इराक (5%), कुवैत (3%), सीरिया ( 3%) और मिस्र (3%) से मुसलमान आकर अमेरिका में बसे हैं।

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