हार के डर से नक्सलियों की आड़ लेकर कांग्रेस हिंसा पर उतरी, चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने में लगी है – भाजपा

रायपुर

पिछले 9 महीनों में भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकतार्ओं की नक्सलियों द्वारा लगातार की जा रही टारगेट किलिंग को प्रदेश की भूपेश सरकार संरक्षण दे रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता व प्रेस प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि बस्तर के नारायणपुर जिला भाजपा उपाध्यक्ष और विधानसभा संयोजक रतन दुबे की शनिवार को की गई नृशंस हत्या पर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या की शुरूआत हो चुकी है। हार के डर से नक्सलियों की आड़ लेकर कांग्रेस हिंसा पर उतर गई है और चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने में लगी है।

गुप्ता ने कहा कि नागरिक सुरक्षा प्रदेश सरकार का दायित्व होता है, लेकिन ठीक चुनाव के मौके पर भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों व कार्यकतार्ओं की टारगेट किलिंग नहीं रुकना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि प्रदेश में भूपेश सरकार अपना वर्चस्व पूरी तरह खो चुकी है और उसके पाँव उखड़ गए हैं। प्रदेश का आदिवासी समुदाय कांग्रेस का साथ छोड़ चुका है। रविवार को एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेस ब्रीफ के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस सरकार के संरक्षण में इसी वर्ष में अब तक 9 भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों व कार्यकतार्ओं की टारगेट किलिंग राजनीतिक कारणों से की गई है। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक प्रतिशोध में इस तरह की टारगेट किलिंग का सिलसिला यह स्पष्ट करता है कि प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। प्रदेश में भाजपा नेताओं की हत्या का षड्यंत्र रचा जा रहा है और चुनाव के दौरान सभा और लगातार भाजपा के पक्ष में दौरा कर रहे स्व. दुबे की हत्या के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या भाजपा का कार्यकर्ता होना क्या ऐसा अपराध है कि मौत की सजा दी जाए? क्या भूपेश सरकार भाजपा कार्यकर्ता होने की यह सजा दे रही है? गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए स्व. दुबे का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पत्रकारों से चर्चा के दौरान भाव विह्वल हो चले गुप्ता ने कहा कि पूरी भाजपा स्व. दुबे के परिवार के साथ खड़ी है।

उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद स्वीकार कर रहे हैं कि यह टारगेट किलिंग है तो वह बताएं कि आखिर भाजपा के कार्यकर्ता किसके टारगेट में हैं? अगर ये हत्याएँ नक्सलियों ने की है, तो एक भी अपराधी को अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया? और, नक्सली सिर्फ भाजपा कार्यकतार्ओं को ही क्यों मार रहे हैं? किसी और राजनीतिक दल के कार्यकर्ता क्यों उनके टारगेट में नहीं है? क्या नक्सली भी भाजपा को खत्म कर कांग्रेस का वजूद बनाने का काम कर रहे हैं? क्या यह हमारा अपराध है कि हम भाजपा के हैं, हम विकास करते हैं, गरीबों और किसानों को उन्नत बनाना चाहते हैं, हम धर्मांतरण को रोक रहे हैं, हम जिहाद का विरोध करते हैं? कांग्रेस की सरकार ने इन हत्याओं के किसी अपराधी को अब तक क्यों नहीं पकड़ा? गुप्ता ने कहा कि यह टारगेट किलिंग राजनीतिक साजिश और राजनीतिक टारगेट किलिंग है। चुनाव, चुनाव आयोग और आचार संहिता की आड़ लेकर प्रदेश सरकार हिंसा की घटनाओं से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती। लोकतंत्र खतरे में है क्योंकि लगातार प्रदेश में विपक्षी दल भाजपा के नेताओं की हत्याएँ हो रही हैं और चुनाव के मद्देनजर प्रदेश की कांग्रेस सरकार भय का वातावरण बना रही है लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता लोकतंत्र सेनानी बनकर इस सरकार को उखाड़ फेंकने तक चैन की नींद नहीं लेगा।

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