राधा अष्टमी आज, नोट कर लें पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

 नई दिल्ली 

भगवान श्री कृष्ण का नाम हमेशा राधा जी के साथ लिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल राधा अष्टमी 23 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के नाम के साथ राधा रानी का नाम साथ में लिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार की तरह ही राधा अष्टमी भी धूमधाम से मनाई जाती है।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त-

अष्टमी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 22, 2023 को 01:35 पी एम बजे

अष्टमी तिथि समाप्त – सितम्बर 23, 2023 को 12:17 पी एम बजे

शुभ मुहूर्त-

    ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 ए एम से 05:22 ए एम
    अभिजित मुहूर्त- 11:49 ए एम से 12:38 पी एम
    विजय मुहूर्त- 02:15 पी एम से 03:03 पी एम
    गोधूलि मुहूर्त- 06:17 पी एम से 06:41 पी एम
    अमृत काल- 08:42 ए एम से 10:16 ए एम
    निशिता मुहूर्त- 11:50 पी एम से 12:37 ए एम, सितम्बर 24
    रवि योग- 02:56 पी एम से 06:10 ए एम, सितम्बर 24

माना जाता है कि राधा अष्टमी पर 108 बार ॐ ह्नीं श्री राधिकायै नमः मंत्र का जाप करने से सुख-समृद्धि आती हैं।

राधा अष्टमी महत्व-

जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि-

-प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
-इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।
-कलश पर तांबे का पात्र रखें।
– अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें।
-तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें।
– ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए।
-पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें।
– दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें। 

 

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