बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर इस कंपनी को मिलेंगे 76 लाख रुपये, जानिए क्या है मामला

नई दिल्ली: देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आम लोग इसका शिकार बन रहे हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले में फैसला सुनाते समय देश में साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। कोर्ट ने आरबीआई के जुलाई 2017 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा को एक कंपनी को 76 लाख रुपये लौटाने का निर्देश दिया। कंपनी के साथ ऑनलाइन फ्रॉड हुआ था और तुरंत बैंक को इसकी जानकारी दे दी थी। लेकिन बैंक उसे रिफंड करने से आनाकानी कर रहा था। मामला हाई कोर्ट में पहुंचा तो बैंक ने नियमों का हवाला देते हुए बैंक को रिफंड का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस तरह से निर्दोष लोग साइबर धोखाधड़ी का शिकार बन रहे हैं।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति एफ पी पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि आरबीआई सर्कुलर और बैंक की नीति दोनों में कहा गया है कि यदि कोई ग्राहक तीन वर्किंग डे के भीतर फ्रॉड ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की रिपोर्ट करता है, तो ग्राहक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में जहां अनधिकृत लेनदेन तीसरे पक्ष के उल्लंघन के कारण होता है, जहां न तो बैंक की गलती है और न ही ग्राहक की, बल्कि खामी सिस्टम में कहीं और होती है और ग्राहक एक निश्चित समय सीमा के भीतर अनधिकृत लेनदेन के बारे में बैंक को सूचित करता है, तो ग्राहक रिफंड का हकदार है। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की देयता शून्य होगी क्योंकि तीन साइबर सेल रिपोर्टों में कहा गया है कि गलती न तो बैंक ऑफ बड़ौदा की है और न ही खाताधारकों की। ऐसे में याचिकाकर्ताओं रिफंड के हकदार हैं।