बांग्लादेश में तख्तापलट, राजस्थान के करोड़ों के ऑर्डर अटके
बांग्लादेश में आए सियासी तूफान का असर राजस्थान के टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री पर भी पड़ा है। प्रदेश की सबसे बड़ी टेक्सटाइल इंडस्ट्री भीलवाड़ा में है। यहां से करीब 5 करोड़ मीटर कपड़ों के ऑर्डर अटक गए हैं।
अकेले भीलवाड़ा से बांग्लादेश को हर महीने करीब ढाई करोड़ मीटर डेनिम कपड़ा सप्लाई किया जाता है। दुनिया की सबसे बड़ी फैशन कंपनियों के लिए बांग्लादेश की करीब 3,500 फैक्ट्रियों में रेडीमेड गारमेंट्स का प्रोडक्शन होता है। इसके लिए राजस्थान से डेनिम, यार्न और सिंथेटिक कपड़ा एक्सपोर्ट होता है।
बांग्लादेश के हालातों से टेक्सटाइल इंडस्ट्री की सालाना करीब 500 करोड़ रुपए की आय प्रभावित होने की आशंका है। दूसरी ओर, जयपुर और पाली की रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री के लिए यह एक अवसर की तरह है।
कारोबारियों का कहना है कि वहां का संकट देखकर इंटरनेशनल खरीदार गारमेंट तैयार करवाने के लिए राजस्थान का भी रुख कर सकते हैं।
राजस्थान के 3 जिलों का एक्सपोर्ट प्रभावित
भीलवाड़ा के कारोबारी अशोक तोषनीवाल के अनुसार – बांग्लादेश टेक्सटाइल का बड़ा हब है, जहां बड़ी कंपनियों के रेडीमेड कपड़े तैयार किए जाते हैं। इसके लिए रॉ मैटेरियल (कॉटन यार्न) की पूर्ति राजस्थान से होती है। प्रमुख तौर पर इसकी सप्लाई राजस्थान में भीलवाड़ा, जयपुर और बालोतरा से की जाती है। यहां से माल बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र के बंदरगाहों के रास्ते बांग्लादेश को एक्सपोर्ट किया जाता है।
हर महीने ढाई करोड़ मीटर डेनिम एक्सपोर्ट भीलवाड़ा से
भीलवाड़ा में 1 हजार से अधिक कपड़ा के कारखाने हैं। यहां प्रतिवर्ष 100 से 110 करोड़ मीटर कपड़े का उत्पादन होता है। इसका सालाना टर्नओवर 25 हजार करोड़ रुपए है। यहां से हर साल 15 करोड़ मीटर कपड़ा दुनिया के 50 देशों में सप्लाई किया जाता है। इसमें बांग्लादेश में करीब दो से ढाई करोड़ मीटर कपड़ा व डेनिम सप्लाई होता है।
भीलवाड़ा में करीब 450 से अधिक वीविंग इंडस्ट्री (बुनाई उद्योग) हैं। 17 से 18 प्रोसेस हाउस, 18 स्पिनिंग इंडस्ट्री हैं। इन इंडस्ट्री में प्रतिमाह 9 करोड़ मीटर कपड़े का उत्पादन होता है। यहां के टेक्सटाइल इंडस्ट्री में करीब 22 हजार लोग कार्यरत हैं, जिनकी आजीविका को लेकर भी संकट छाने की आशंका है।
सालाना होने वाली 400 करोड़ की कमाई अटकी
भीलवाड़ा टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन(BTMA) के अध्यक्ष डॉ. एसएन मोदानी ने बताया- भीलवाड़ा के डेनिम की बांग्लादेश में काफी डिमांड है। यहां से हर महीने दो से ढाई करोड़ मीटर कपड़ा बांग्लादेश को सप्लाई होता है। पिछले 3 महीने से चले आ रहे आंदोलन से करोड़ों रुपए के ऑर्डर अटके हुए हैं। जब से वहां तख्तापलट की खबर आई है यहां कारोबारियों के 50 करोड़ के ऑर्डर तो पिछले 2 दिन में ही अटक गए हैं। भीलवाड़ा को सालाना बांग्लादेश से करीब 400 करोड़ रुपए की आमदनी होती है, जो आने वाले दिनों में प्रभावित हो सकती है।
सांसद बोले- विदेश मंत्रालय के जरिए हर संभव मदद करेंगे
भीलवाड़ा टेक्सटाइल फेडरेशन के अध्यक्ष और सांसद दामोदर अग्रवाल ने बताया- भीलवाड़ा के साथ बांग्लादेश के व्यापारिक संबंध अच्छे हैं। यहां के कई कारोबारी हैं, जो बांग्लादेश को डेनिम एक्सपोर्ट करते हैं। बांग्लादेश में आरक्षण आंदोलन के कारण कारोबारियों का लेनदेन प्रभावित हुआ है।
यदि वहां भीलवाड़ा का कोई व्यक्ति फंसा हुआ है या किसी भी बिजनेसमैन का कोई पैसा अटका हुआ है तो उसे निकलवाने के लिए विदेश मंत्रालय से बात की जाएगी। कारीगरों और व्यापारियों को किसी तरह का नुकसान न हो, इसके प्रयास किए जाएंगे।
जयपुर में गारमेंट की 2 लाख मशीनें, 10 प्रतिशत प्रोडक्शन बढ़ने की संभावना
गारमेंट एक्सपोर्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (GEAR) के अध्यक्ष जाकिर हुसैन कहते हैं- राजस्थान की गारमेंट इंडस्ट्री हर साल में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का एक्सपोर्ट करती है। करीब 5 हजार करोड़ का कारोबार डोमेस्टिक सप्लाई से होता है। अकेले जयपुर में गारमेंट्स तैयार करने वाली 2 लाख के करीब मशीनें हैं। इससे 4 लाख से ज्यादा लोगों का रोजगार जुड़ा है।
जाकिर हुसैन बताते हैं कि बांग्लादेश के हालात राजस्थान की गारमेंट इंडस्ट्री के लिए नेगेटिव संकेत नहीं हैं। इसके उलट यहां काम आने की संभावना बढ़ेगी। जो यूरोप-अमेरिका-जापान के खरीदार पहले बांग्लादेश जाते थे उनमें से कुछ ऑर्डर राजस्थान में शिफ्ट हो सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान की गारमेंट इंडस्ट्री (जयपुर, पाली) को 10% अधिक ऑर्डर मिलने की संभावना है।
पाली में बढ़ेगी कपड़ा प्रोसेसिंग की डिमांड
राजस्थान टेक्सटाइल हैंड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष (पाली) विनय बम्ब ने बताया कि यहां करीब 750 टेक्सटाइल यूनिट हैं। यहां जो कपड़ा प्रोसेस होता है वो देश के कई राज्यों में सप्लाई होता है। बांग्लादेश में डायरेक्ट एक्सपोर्ट नहीं होता, लेकिन इनडायरेक्ट जरूर है।
पहले पश्चिम बंगाल के व्यापारी पाली से कपड़ा प्रोसेस करवाकर एक्सपोर्ट करते थे। बांग्लादेश में प्रोसेस यूनिट लगने से वहां के व्यापारियों ने पश्चिम बंगाल का रुख कर लिया था।
वर्तमान में बांग्लादेश के जो हालात हैं, उसे स्थिर होने में समय लगेगा। उम्मीद है कि पाली में भी सूती, सेंथेटिक कपड़े की प्रोसेसिंग की डिमांड आने लगेगी।
बालोतरा इंडस्ट्री पर दबाव बढ़ेगा
बालोतरा वाटर पॉल्यूशन कंट्रोल एंड रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष रूपचंद सालेचा कहते हैं- इंडस्ट्रियल एरिया में करीब 1000 से 1200 इकाइयां हैं। यहां से रोजाना करीब 15 से 20 लाख का पोपलीन और सिंथेटिक कपड़े का माल तैयार होकर कोलकाता जाता है, जहां से बांग्लादेश को सप्लाई होता है।
कोलकाता की मंडी ऐसी है, जहां से आसपास के देशों में माल जाता है। बालोतरा में कुल कारोबार 15 से 18 हजार करोड़ रुपए का है। बांग्लादेश में जल्द शांति नहीं हुई तो बालोतरा से डिमांड घट सकती है। इसका सीधा असर यहां काम करने वाले हजारों कारीगरों पर पड़ने वाला है।