सोनिया ने लिखा- शिक्षा नीति में 3C एजेंडा:इससे केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकता बढ़ेगी

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की आलोचना की है। अंग्रेजी अखबार द हिंदू के एक आर्टिकल में सोनिया गांधी ने लिखा, ‘केंद्र सरकार शिक्षा नीति के माध्यम से अपने 3 सी एजेंडे (केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकता) को आगे बढ़ा रही है। शिक्षा नीति भारत के युवाओं और बच्चों की शिक्षा के प्रति सरकार की गहरी उदासीनता को दिखाती है।’

सोनिया गांधी के आर्टिकल की 5 प्रमुख बातें –

1. मोदी सरकार शिक्षा के ढांचे को कमजोर कर रही है

सोनिया ने अपने लेख में केंद्र पर संघीय शिक्षा ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा- मोदी सरकार राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों से बाहर रखकर शिक्षा के संघीय ढांचे को कमजोर कर रही है। शिक्षा नीति में केंद्र सरकार ने सारी ताकत अपने हाथ में ले ली है और सिलेबस और संस्थानों में सांप्रदायिकता फैलाई जा रही है।

सोनिया ने शिक्षा नीति के लिए निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में राज्य सरकारों को दरकिनार करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक सितंबर 2019 से नहीं हुई है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के मंत्री शामिल हैं।

2. सरकारी स्कूलों की जगह प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा

सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के लिए ग्रांट रोककर राज्य सरकारों को पीएम-श्री (पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को लागू करने के लिए मजबूर किया है। स्कूली शिक्षा के अनियंत्रित निजीकरण को बढ़ावा दिया।

सोनिया ने कहा- SSA ग्रांट राज्यों को बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम को लागू करने के लिए दी जा रही है। शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने भी SSA निधियों को बिना शर्त जारी करने का मुद्दा उठाया था।

3. एक किमी के अंदर प्राइमरी स्कूल और 3 KM के अंदर मिडिल

सोनिया ने कहा- RTE (शिक्षा का अधिकार) ने सभी बच्चों की पहुंच प्राथमिक स्कूलों तक सुनिश्चित की। इसके तहत एक किलोमीटर के भीतर एक प्राइमरी स्कूल (कक्षा एक से पांच तक) और 3 KM के अंदर एक अपर प्राइमरी स्कूल (कक्षा 6 से 8 तक) होना चाहिए। NEP स्कूल परिसरों के विचार को बढ़ावा देकर RTE के तहत इन पड़ोस के स्कूलों के कॉन्सेप्ट को कमजोर करता है।

उन्होंने कहा कि 2014 से देश भर में 89,441 पब्लिक स्कूल बंद हो गए, जबकि 42,944 निजी स्कूल खुले हैं। NEP में देश के गरीबों को सार्वजनिक शिक्षा से बाहर कर दिया गया है।

4. यूनिवर्सिटी को कर्ज लेने पर मजबूर किया जा रहा

सोनिया ने साल 2025 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के लिए नए ड्राफ्ट गाइडलाइन की बात उठाई। उन्होंने लिखा- राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के चयन में राज्य सरकारों की भूमिका को लगभग खत्म कर दिया गया है। यह संघवाद के लिए गंभीर खतरा है।

उन्होंने लिखा कि उच्च शिक्षा में केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा फाइनेंसिंग एजेंसी (HEFA) की शुरुआत की है। विश्वविद्यालयों को HEFA से बाजार ब्याज दरों पर लोन लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिसे राज्यों को बाद में अपने राजस्व से चुकाना होगा। लोन चुकाने के लिए छात्रों की फीस बढ़ोतरी का सामना करना पड़ता है।

ग्रांट की मांग पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में संसदीय स्थायी समिति ने पाया कि इन लोन का 78% से 100% हिस्सा विश्वविद्यालयों के छात्रों की फीस से चुकाया जा रहा है।

5. सरकार शिक्षा प्रणाली के माध्यम से घृणा फैला रही

सोनिया गांधी ने सरकार पर शिक्षा प्रणाली के माध्यम से नफरत फैलाने और उसे बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों से इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण हिस्से हटाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मुगल काल और महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े हिस्सों को सिलेबस से निकाला गया है, लेकिन जनता के विरोध के बाद संविधान की प्रस्तावना को वापस जोड़ा गया।

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