चीन को अखरने लगी है भारत की तरक्की! मशीनें भेजने में देरी, इंजीनियरों को वापस बुलाया

नई दिल्ली: दुनिया के बड़े देशों में भारत की इकॉनमी सबसे तेजी से बढ़ रही है। यह बात हमारे पड़ोसी देश चीन को हजम नहीं हो रही है। भारत की रफ्तार रोकने के लिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। पहले उसने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई बंद कर दी और फिर स्पेशिएलिटी फर्टिलाइजर्स की खेप भी बंद कर दी। अब उसकी नजर भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर है जो तेजी से बढ़ रहा है। चीन इसमें रुकावट डालने लगा है। वह भारत को जरूरी मशीनें भेजने में देरी कर रहा है। साथ ही, चीन ने अपने कुछ नागरिकों को भारतीय फैक्ट्रियों से वापस बुलाने का आदेश दिया है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो फॉक्सकॉन में इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग का काम करते हैं। फॉक्सकॉन अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनी ऐपल के लिए आईफोन बनाती है।

सूत्रों के अनुसार भारत में फॉक्सकॉन के कामकाज पर भारी दबाव है। फॉक्सकॉन के तमिलनाडु और कर्नाटक में प्लांट हैं जिनमें सैकड़ों चीनी कर्मचारी काम करते हैं। एक सूत्र ने बताया कि भले ही चीनी कर्मचारियों की संख्या कुल कर्मचारियों का 1% से भी कम है, लेकिन वे उत्पादन और क्वालिटी को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूत्र ने कहा कि चीन की सरकार अपने नागरिकों को वापस बुला रही है। इससे आईफोन के उत्पादन में दिक्कत आ सकती है। ऐपल और फॉक्सकॉन के अधिकारियों को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है।

कंपनियों की चिंता

सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह समस्या पिछले कुछ महीनों से चल रही है। कंपनियों ने अपने अन्य देशों में मौजूद ऑफिस से कर्मचारियों को बुलाकर काम चलाया है। चीन की टॉप फोन कंपनियों जैसे ओप्पो और वीवो की स्थिति भी चिंताजनक है। इनकी भारत में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं। सूत्रों के अनुसार इन कंपनियों में भले ही चीन के कम अधिकारी हैं लेकिन चीन के कदम से वे आशंकित हैं। ऐपल और चीनी कंपनियां चीन से बहुत सारे पार्ट्स मंगवाती हैं। इन पार्ट्स का इस्तेमाल भारत में फाइनल प्रोडक्ट बनाने में होता है।भारत सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। सूत्रों का कहना है कि चीन भारत के साथ जैसे को तैसा वाला व्यवहार कर रहा है। खासकर इसलिए क्योंकि उनके कॉर्पोरेट कर्मचारियों को बिजनेस वीजा मिलने में बहुत दिक्कतें आ रही हैं। इंडस्ट्री के एक सूत्र ने कहा कि हम सरकार को इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजने वाले हैं। ताकि मैग्नेट सप्लाई के मामले की तरह यह मामला एक और संकट में न बदल जाए।

चीन के बाहर विस्तार

ऐपल के लिए भारत एक बड़ा प्रोडक्शन हब बन गया है। हाल के वर्षों में भारत के एक्सपोर्ट में कंपनी की हिस्सेदारी कई गुना बढ़ गई है। सरकार नहीं चाहती कि इसमें कोई रुकावट आए। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पहले भी चीन ने भारत में बनने वाली फैक्ट्रियों के लिए जरूरी मशीनें रोकने की कोशिश की है। ऐसा तब हुआ जब उन्हें पता चला कि ये फैक्ट्रियां भारत में बन रही हैं। ये कदम ऐसे समय में उठाए जा रहे हैं जब कंपनियां अपने प्रोडक्शन बेस को अलग-अलग देशों में फैलाना चाहती हैं। वे भारत में अपनी क्षमता बढ़ा रही हैं।

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