सूखत तय नहीं होने से कई वेयरहाउस में खरीदी अटकी

प्रदेश में 7 जून से मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो गई है, लेकिन खरीदी व्यवस्था पूरी तरह तैयार नहीं हो सकी है। सरकार को करीब 400 खरीदी केंद्र खोलने थे, लेकिन तीन दिन बाद भी अब तक केवल 280 केंद्र ही शुरू हो पाए हैं। अधिकांश खरीदी केंद्र वेयरहाउस परिसरों में बनाए गए हैं, लेकिन वहां भी स्टॉक को लेकर असमंजस बना हुआ है। मूंग में इस समय नमी है।
खरीदी के बाद जब यह वेयरहाउस में रखा जाएगा, तो उसमें सूखत आना तय है। लेकिन अब तक यह तय नहीं किया गया है कि सरकार कितनी सूखत स्वीकार करेगी। इस वजह से कई वेयरहाउस में खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। वेयरहाउस संचालकों का कहना है कि सरकार उन्हें प्रति क्विंटल 8 रुपए महीना किराया देती है।
यदि मूंग में 1 प्रतिशत भी सूखत आती है, यानी 1 क्विंटल पर 700 ग्राम वजन कम होता है, तो उन्हें लगभग 60 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो जाएगा। ऐसे में अगर मूंग का स्टॉक 6 महीने रखा गया, तो उन्हें कुल किराया 48 रुपए मिलेगा, लेकिन नुकसान 60 रुपए तक होगा। यानी वेयरहाउस को सीधे 12 रुपए प्रति क्विंटल की हानि उठानी पड़ सकती है।
कई जगह बारदाने का इंतजार
खरीदी शुरू हुए तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक 280 सेंटर ही बने हैं। इनमें से भी कई शुरू होने में दिक्कत आ रही है। कई सेंटर पर बारदाना नहीं पहुंचा है, जिसके कारण खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। वहीं कुछ व्यापारी मुहूर्त के इंतजार में खरीदी शुरू नहीं कर रहे हैं। हालांकि दो से तीन दिनों में इन केंद्रों पर खरीदी शुरू हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सभी 400 केन्द्र शुरू कर दिए जाएंगे।
100 क्विं. से अधिक नहीं बेच सकेंगे मूंग
जिन जिलों में मूंग की उत्पादकता 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक है, वहां 1 हेक्टेयर पर 12 क्विंटल ही मूंग खरीदी जाना है। वहीं जिन जिलों में उत्पादकता 12 क्विंटल से कम है, वहां उत्पादकता के हिसाब से मूंग खरीदी जाना है। इस लिहाज से 1 हेक्टेयर पर किसान से विदिशा में 10 क्विंटल, खंडवा में 11, राजगढ़ और बुरहानपुर में 10.50, सागर में 7.80, दमोह में 10.25, छतरपुर में 6.40, मुरैना में 7, शिवपुरी में 7.90 और खरगोन में 8.50 क्विंटल मूंग ही खरीदी जाएगी। किसी भी सूरत में एक किसान से 100 क्विंटल से अधिक मूंग नहीं खरीदी जाएगी।
हो सकता है घाटा
मूंग में सरकार कितना प्रतिशत नमी स्वीकार करेगी यह तय नहीं कर पाई है। ऐसे में वेयरहाउस संचालकों को घाटा हो सकता है। इसी कारण कई वेयरहाउसों पर खरीदी भी शुरू नहीं हो पाई है।
– नवनीत रघुवंशी, प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश वेयरहाउस ऑनर्स एसोसिएशन।