कौन हैं अमेरिका में रहने वाले ‘बोस्टन ब्राह्मण’:कोल्डप्ले कॉन्सर्ट के बाद चर्चा में आए, विवाद में फंसीं HR से संबंध

पिछले हफ्ते अमेरिका के बॉस्टन में हुए कोल्ड प्ले कॉन्सर्ट का 2 सेकेंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें डाटा सॉफ्टवेयर स्टार्टअप एस्ट्रोनॉमर के CEO एंडी बायरन अपनी कंपनी की HR हेड क्रिस्टी कबॉट के साथ रोमांस करते दिखाई दिए थे।

बायरन और क्रिस्टी दोनों पहले से शादीशुदा हैं। ऐसे में इस वीडियो के वायरल होने पर काफी हंगामा मचा। इस घटना के बाद बायरन और क्रिस्टी की फैमिली भी दुनिया की नजरों में आ चुकी है।

क्रिस्टी के पति एंड्रयू कबॉट एक रम कंपनी के मालिक हैं। उनका ताल्लुक अमेरिका के ‘बॉस्टन ब्राह्मण’ परिवार से है।

17वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका आए थे बॉस्टन ब्राह्मण

बॉस्टन ब्राह्मण मूल रूप से अंग्रेज प्यूरिटन धर्म सुधारकों के वंशज हैं, जो 1600 के दशक में अमेरिका के न्यू इंग्लैंड आए थे। इनमें कबॉट, लोवेल, एडम्स, पीबॉडी, एलियट और विन्थ्रोप जैसे परिवार शामिल थे। ये परिवार अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित परिवार माने जाते हैं।

इन परिवारों ने हार्वर्ड (1636) और येल (1701) जैसी यूनिवर्सिटीज की स्थापना में मदद की थी। ये यूनिवर्सिटीज सिर्फ ऊंचे परिवारों के पुरुषों के लिए थीं।

बॉस्टन फैमिली ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्थापना में योगदान दिया, जहाजरानी और शिपिंग व्यवसायों को खड़ा किया। यहां तक की अमेरिका के शुरुआती कानूनों भी इन्हीं की देन है।

19वीं सदी में बॉस्टन ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल हुआ

बॉस्टन ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल पहली बार साल 1861 में लेखक और चिकित्सक ओलिवर वेंडेल होम्स सीनियर ने इस्तेमाल किया था।

उन्होंने बॉस्टन की अंग्रेजी मूल के ऊंचे वर्गों की लोगों को ‘ब्राह्मण कास्ट ऑफ न्यू इंग्लैंड’ कहा था। ये भारत के ब्राह्मणों की तरह ही एक ‘उच्च बौद्धिक वर्ग’ माने जाते थे।

इनका उच्चारण, पहनावा और जीवनशैली आम अमेरिकियों से अलग है। ये चमक-धमक से दूर, मगर बौद्धिक और सांस्कृतिक प्रभाव में सबसे ऊपर होते हैं।

ये लोग हर रविवार को रोस्ट बीफ और सोमवार को उसके बचे हिस्सों का ‘कोल्ड रोस्ट’ खाने की परंपरा निभाते हैं। बॉस्टन ब्राह्मणों भी खुद को श्रेष्ठ वर्ग का मानते थे। उनका मानना था कि उन्हें यह श्रेष्ठता जन्म से मिली है।

बॉस्टन शहर से शुरू हुआ बॉस्टन ब्राह्मणों का सफर

बॉस्टन शहर के कल्चर और व्यापार के चलते इसे अमेरिका का एथेंस कहा जाता है। बॉस्टन ब्राह्मण इसी शहर के पढ़े लिखे सफल अमीर व्यापारी बैंकर आदि थे।

उनका मानना था कि ईश्वर ने उन्हें बॉस्टन शहर को बसाने और सांस्कृतिक और बौद्धिक आदर्श बनाने के लिए चुना है। वे खुद को बाकी दुनिया के लिए मिसाल कायम करने वाले समाज के तौर पर देखते थे।

बॉस्टन ब्राह्मण अमेरिका में दास प्रथा को समाप्त करने वाले पहले आंदोलनों में शामिल रहे और गुलामों को स्वतंत्र कराने के लिए अभियान चलाया। हालांकि समय के साथ इस वर्ग का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता गया।

20वीं सदी में जब बड़ी संख्या में आयरिश, इटालियन और यहूदी आप्रवासी बॉस्टन आए। इससे शहर की संस्कृति में बदलाव आया और बॉस्टन ब्राह्मणों का वर्चस्व धीरे-धीरे कम होता गया।

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