सिंधु जल संधि पर रोक के बाद पहली बारिश में ही तड़पने लगा पाकिस्तान, भारत ने ऐक्शन लिया तो क्या होगा, सता रहा डर

इस्लामाबाद: पाकिस्तान इस समय भीषण बाढ़ के संकट से जूझ रहा है। इस साल बाढ़ ने अब तक कम से कम 242 लोगों की जान ले ली है। नए तूफान के आने से और भी लोगों के मारे जाने की आशंका है। इस बाढ़ ने पाकिस्तान के जल संकट की भयावहता का सामने ला दिया है। पाकिस्तान का जल संकट केवल बारिश और बाढ़ तक नहीं सीमित रहने वाला है। यह इसके बाद पानी की कमी के रूप में आने वाला है। खासतौर पर जब भारत ने पाकिस्तान की लाइफ लाइन कही जाने वाली सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। पाकिस्तान का एक बड़ा क्षेत्र हजारों साल से सिंधु नदी के पानी पर निर्भर रहा है।

पाकिस्तान का जल संकट

पाकिस्तान के जल संकट को समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है। विभिन्न मानकों के आधार पर पाकिस्तान वर्तमान में दुनिया के 15वें सबसे अधिक जल संकटग्रस्त देश के रूप में है। विश्व वन्यजीव कोष-पाकिस्तान (WWF-P) के अनुसार, देश की वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1947 में लगभग 5,600 घन मीटर से गिरकर 2023 में केवल 930 घन मीटर रह गई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, पाकिस्तान का जल संकट विश्व स्तर पर सबसे अधिक है, जो बताता है कि यह अब राष्ट्रीय अस्तित्व का प्रश्न है।

भारत से मिलने वाले पानी पर निर्भर पाकिस्तान

पाकिस्तान में पानी की कमी केवल घरेलू मुद्दा नहीं है। यह एक क्षेत्रीय भू-राजनीतिक विवाद का विषय है। भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को निर्धारित करने वाली यह संधि खतरे का सामना कर रही है। इस संधि के तहत पाकिस्तान को भारत से आने वाली सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर अधिकार मिला था, जो पाकिस्तान के सिंचाई जल का 80 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है। इसके साथ ही पाकिस्तान की बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग एक तिहाई इससे मिलता है।

यही वजह है इसी साल 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए संधि को स्थगित करने की घोषणा की, जिससे पाकिस्तान में खलबली मच गई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत एकतरफा तौर पर पानी रोक लेता है, तो पंजाब और सिंध में पाकिस्तानी कृषि क्षेत्रों को पानी की उपलब्धता में 35 प्रतिशत तक कमी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने की तरह है, जिसकी अर्थव्यवस्था और खाद्य आपूर्ति इन नदियों से जुड़ी हुई है।

पाकिस्तान के लिए असल खतरा आगे

पाकिस्तान के डॉन अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सूखे के महीनों में खतरा बहुत वास्तविक है। भारत नदी के प्रवाह में बाधा पहुंचा सकता है, जिससे सूखे जैसी स्थिति पैदा हो सकता है। या फिर बिना किसी चेतावनी के पानी छोड़कर नीचे की ओर अचानक बाढ़ आ सकती है। पाकिस्तान के लिए संकट और बढ़ जाता है क्योंकि उसके पास अतिरिक्त जल को जमा करने के लिए भंडारण सुविधा का भारी अभाव है।

केवल 30 दिनों का पानी रोकने की क्षमता

पाकिस्तान केवल 30 दिनों का पानी जमा कर सकता है, जो जल सुरक्षा के लिए 120 दिनों के अंतरराष्ट्रीय मानक से बहुत कम है। इस सीमिक क्षमता के साथ पाकिस्तान अतिरिक्त वर्षा जल या पिघले हुए हिमनदों को संकट के समय के लिए जमा नहीं कर सकता है। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए जल संकट का खतरा और बढ़ा देती है। पाकिस्तान को पानी कमी खाद्य संकट पैदा कर सकती है जो देश को भुखमरी की स्थिति में पहुंचा सकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बार-बार भारत से बातचीत की गुहार लगा रहे हैं।


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