नहीं मिल रहा संबल:दस्तावेजों में पात्र लेकिन पोर्टल में नहीं, घरों में काम करने को मजबूर हैं पीड़ित लोग

बाग सेवनिया में रहने वाली संजीविका चौरे अपने 9 और 13 साल के दो बेटों के साथ कभी थाने तो कभी नगर निगम कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। उनके पास अपर कलेक्टर का आदेश भी है, लेकिन पति की मौत के सवा साल बाद भी उन्हें संबल योजना के तहत मिलने वाली सहायता अब तक नहीं मिल पाई।
उनके पति की मौत 1 साल 3 महीने पहले घर में करंट लगने से हो गई थी। संजीविका को संबल योजना के तहत करीब चार लाख रु. मिलने हैं। तब से लेकर अब तक कागजों की खानापूर्ति हो रही है। पति की मौत के बाद संजीविका अब घरों में काम करके अपने बच्चों को पाल रही हैं।
वे अकेली नहीं हैं। शहर में कुल 29लोगों को पात्र किया गया है, लेकिन पोर्टल में अपात्र बताने के कारण मामले अटके हुए हैं। इनमें से 22 पति के मौत के मामले हैं, जबकि एक पिता और 6 महिलाओं के मौत के मामले हैं।
यह है संबल योजना राज्य सरकार द्वारा राज्य के असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना प्रारंभ की गई। योजनांतर्गत अंत्येष्टि सहायता (5 हजार रुपए), सामान्य मृत्यु सहायता (2 लाख रुपए), दुर्घटना मृत्यु सहायता (4 लाख रुपए), आंशिक दिव्यांगता सहायता (1 लाख रुपए) एवं स्थाई दिव्यांगता सहायता योजना (2 लाख रुपए) की सहायता राशि दी जाती है।
दोनों पीड़ितों को बस दिया जाता है आश्वासन
दो साल से परेशान है सब्जी बेचने वाला पीड़ित फैयाज सुभाष नगर में रहने वाले फैयाज ने बताया कि उनके पिता की मौत दो साल पहले हो गई थी। संबल योजना के तहत दो साल पहले उन्होंने मां असमत बी के नाम से आवेदन किया था, लेकिन आज तक उन्हें पैसा नहीं मिला। वे वहां दोबारा गए , तो बताया कि फाइल में गलत जानकारी भर दी गई थी। उसके बाद सही जानकारी भरवाई। उसके बाद भी वे बस चक्कर ही काट रहे हैं। वे पांच बहन-भाई हैं। वे घर में सबसे बड़े हैं और सब्जी का ठेला लगाकर परिवार को पाल रहे हैं ।
कैंसर से हो चुकी है देव कुशवाह के पिता की मौत खुशीपुरा चांदबड़ में रहने वाले देव कुशवाहा ने बताया कि पिछले साल अप्रैल में पापा नरेश कुशवाहा की मौत हो गई थी। उन्हें कैंसर था। मां आशा कुशवाहा के नाम पर उन्होंने संबल के लिए आवेदन किया था, लेकिन आज तक पैसा नहीं मिला। वे कई बार निगम के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अपर कलेक्टर से तो पात्र का आदेश मिल गया, लेकिन पोर्टल पर पात्र नहीं बता रहे। जब भी जाओ तो कहते हैं कि फाइल मंजूर होकर गई है।
संबल प्रक्रिया तीन स्तर पर चलती है…
^योजना के अंतर्गत हितग्राही की जानकारी संबल पोर्टल पर दर्ज कराते हैं। यह श्रम विभाग द्वारा संचालित होता है। पात्र या अपात्र वहां पर चिह्नित होते हैं। पोर्टल पर किसी का नाम नहीं चढ़ने की स्थिति में एक-एक केस को श्रम विभाग को दोबारा भेजा जाता है। प्रक्रिया तीन स्तर पर चलती है। नगर निगम, श्रम विभाग और कलेक्टर ऑफिस से पूरी प्रक्रिया होती है। -हरेंद्र नारायण, कमिश्नर नगर निगम भोपाल