नेशनल माउंटेनियरिंग डे पर जाने ज्योति की एवरेस्ट की कहानी

जब मैंने शिखर की ओर बढ़ना शुरू किया, तो चारों तरफ बर्फीला तूफान था। हर कदम पर लगा कि अब आगे नहीं कर पाऊंगी जैसे यह मेरा अंतिम समय हो, माइनस 40 से 50 डिग्री की सर्दी थी, ऑक्सीजन खत्म हो चुकी थी, पैरों की अंगुलियों में जान नहीं थी…और वह गलने लगी थीं, फिर भी मैंने हार नहीं मानी।

QuoteImage

यह शब्द हैं 55 वर्षीय पर्वतारोही ज्योति रात्रे के, जिन्होंने 19 मई 2024 को सुबह 6:30 बजे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर भारत का झंडा फहराया।

नेशनल माउंटेनियरिंग डे (1 अगस्त) के मौके पर ज्योति रात्रे ने माउंट एवरेस्ट के उस अंतिम 28 घंटे का जिक्र किया, जिसने उनकी मानसिक और शारीरिक ताकत की पूरी परीक्षा ली।

हर कदम पर मौत का साया, सुन्न पड़ने लगा था शरीर

18 मई की शाम 5 बजे ज्योति ने कैंप-4 से समिट के लिए चढ़ाई शुरू की। तभी आसमान में फिर तूफान के संकेत मिलने लगे। जैसे-जैसे वह ऊपर बढ़ रही थीं, तूफान भी उतना ही तेज होता गया। चारों तरफ बर्फ की सफेद दीवारें खड़ी हो गईं। दृश्यता शून्य थी।

तापमान -50 डिग्री तक गिर चुका था। अचानक उनका ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया। शरीर सुन्न पड़ने लगा। सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उन्हें लगने लगा कि अब आगे नहीं बढ़ पाएंगी। उन्होंने शेरपा से कहा, “मैं अभियान यहीं रोक रही हूं।” लेकिन तभी शेरपा ने फुर्ती से नया सिलेंडर लगाया। कुछ मिनटों में एनर्जी वापस आई, और उन्होंने फिर से चढ़ाई शुरू कर दी।

पैरों की अंगुलियां गलने लगीं, दर्द से कांप उठा शरीर इस बेहद कठिन चढ़ाई में उनके पैरों की कुछ अंगुलियां फ्रीज हो गईं। ब्लड सर्कुलेशन रुकने लगा। ज्योति बताती हैं, “मेरे पैर जैसे लकड़ी बन चुके थे। चलने की कोशिश करती, तो लगता जैसे सैकड़ों सुइयां चुभ रही हैं। मगर उस वक्त सिर्फ एक ही लक्ष्य था – शिखर।

सबसे कठिन हिस्सा तब आया जब हिलेरी स्टेप पार करना पड़ा। ये एवरेस्ट का अंतिम और सबसे खतरनाक हिस्सा है। बेहद संकरी चट्टान, जहां एक गलत कदम सीधी मौत का रास्ता बन सकता है। मगर ज्योति ने धैर्य और साहस के सा इस हिस्से को भी पार किया।

सुबह 6:30 बजे लहराया तिरंगा, बनीं भारत की सबसे उम्रदराज महिला एवरेस्ट विजेता

19 मई को सुबह 6:30 बजे जब उन्होंने शिखर पर कदम रखा, तो वो पल उनके जीवन का सबसे भावुक लेकिन शांत क्षण था। ज्योति कहती हैं "लोग सोचते हैं कि चोटी पर पहुंचकर खुशी से रो देंगे, लेकिन मेरे पास उस वक्त कोई भावना ही नहीं थी। मैं बस शून्य में थी,"

एवरेस्ट पर फतह के साथ ही वे भारत की सबसे उम्रदराज महिला बन गईं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया। इससे पहले वह रूस की एल्ब्रस, अफ्रीका की किलिमंजारो, ऑस्ट्रेलिया की कोसियुज़्को और नेपाल की आइलैंड पीक जैसी ऊंची चोटियों पर भी चढ़ चुकी हैं।

बिना ट्रेनिंग, सिर्फ आत्मविश्वास और तैयारी के दम पर एवरेस्ट पर विजय चौंकाने वाली बात यह है कि ज्योति ने एवरेस्ट के लिए कोई एडवांस ट्रेनिंग नहीं ली। उन्होंने केवल खुद को फिजिकली और मेंटली तैयार किया और एक्स्ट्रा ऑक्सीजन कैनिस्टर लेकर गईं। उनकी डाइट में सत्तू, ओट्स, मैगी और प्रोटीन पाउडर शामिल था, जिससे उन्हें ताकत मिलती रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button