भोपाल डिवीजन की हर चौथी ट्रेन लेट:पैसेंजर-मेमू सबसे पीछे

भोपाल रेल मंडल की जनवरी से जून 2025 तक की पंक्चुअलिटी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मंडल की ट्रेनों की औसत समय-पालन दर केवल 75.22% रही। इसका मतलब है कि हर चौथी ट्रेन देर से गंतव्य तक पहुंची। इस रिपोर्ट में प्रमुख ट्रेनों की समय-पालन स्थिति, रद्द/डायवर्ट/रीशेड्यूल की गई ट्रेनों और देरी के कारणों का ब्योरा दर्ज है।

प्रीमियम बनाम पैसेंजर ट्रेनों की समय-पालन दर

  • प्रीमियम ट्रेनों की औसत पंक्चुअलिटी: 78.70%
  • पैसेंजर ट्रेनों की औसत पंक्चुअलिटी: 58.39%

पिछले छह महीनों में भोपाल रेल मंडल से कुल 37,250 प्रीमियम ट्रेनें शेड्यूल की गईं, जिनमें से 7,649 ट्रेनें लेट हुईं। वहीं, 8,267 पैसेंजर ट्रेनें चलाई गईं, जिनमें 3,202 ट्रेनें देर से चलीं।

प्रीमियम और हाई-प्रोफाइल ट्रेनें, जिनमें बिजनेस क्लास, मिडिल क्लास और वीआईपी यात्री सफर करते हैं, अपेक्षाकृत समय की पाबंद हैं। दूसरी ओर, मेमू और पैसेंजर ट्रेनें, जिनसे मजदूर, किसान, कर्मचारी और विद्यार्थी यात्रा करते हैं, रोजाना लेट होती हैं।

हर चौथी ट्रेन रहती है लेट भोपाल मंडल में प्रतिदिन औसतन 2.25 लाख यात्री 87 स्टेशनों से सफर करते हैं। ये यात्री लगभग 230 से 250 ट्रेनों में यात्रा करते हैं। प्रमुख स्टेशनों से यात्री संख्या इस प्रकार है:

  • भोपाल स्टेशन: 60,000
  • रानी कमलापति: 25,000
  • इटारसी: 22,000
  • बीना: 18,000

रिपोर्ट के अनुसार, दर्ज 45,517 ट्रेनों में से 10,751 ट्रेनें तय समय से देर से चलीं, यानी हर चौथी ट्रेन लेट रही।

समय की भरपाई सिर्फ अमीरों की ट्रेनों में MKUP (Make Up Time) वह स्थिति होती है जब ट्रेन लेट होती है लेकिन रास्ते में समय की भरपाई कर लेती है और गंतव्य पर समय पर पहुंचती है।

  • कुल MKUP ट्रेनों की संख्या: 4,337
  • कुल MKUP प्रतिशत: 9.52%
  • श्रेणी अनुसार:
  • प्रीमियम ट्रेनों का MKUP प्रतिशत: 10.5%
  • पैसेंजर/स्पेशल ट्रेनों का MKUP प्रतिशत: 4.5%

प्रीमियम ट्रेनें जैसे वंदे भारत, राजधानी, जनशताब्दी, गरीब रथ – जिन्हें प्राथमिकता मिलती है, स्टॉपेज कम होते हैं और जिनका ट्रैक अधिकतर खाली रहता है – उनके पास समय की भरपाई की संभावना अधिक होती है। इसके उलट, मेमू और पैसेंजर ट्रेनें अक्सर आउटर पर रोकी जाती हैं, उन्हें ओवरटेक कराया जाता है और वे ऑपरेशनल ब्लॉक्स का सामना करती हैं, जिससे वे समय की भरपाई नहीं कर पातीं।

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