अचानक हुआ ‘मामा’ और ‘राजा’ का आमना-सामना

राजधानी भोपाल के एक पड़ोसी जिले में सांसद और मंत्री की अंदरूनी लड़ाई दिल्ली तक पहुंच गई है।
हुआ यूं कि देश की राजधानी में संसद सत्र के दौरान एमपी के सत्ताधारी दल के सांसदों की बैठक हुई। इसमें सांसद जी ने पार्टी के दिग्गजों के सामने कह दिया कि संगठन में समन्वय की बात होती है, लेकिन जो विधायक समन्वय के बजाय सिर्फ विवाद करते हैं, उन पर क्या किया जाएगा।
सांसद ने आगे कहा कि ऐसे विधायकों पर संगठन की ओर से भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के सामने उठाए गए इस मुद्दे के बाद एमपी के नेता बगलें झांकते नजर आए।
इधर, महामंत्री जी ने भी एमपी के संगठन के नेताओं की तरफ देखकर कहा कि इस विषय को ये लोग देखेंगे। सुना है कि सांसद जी ने जो मुद्दा उठाया उसमें एक मंत्री जी निशाने पर थे।
मुखिया जी की चेतावनी से टेंशन में जिला अध्यक्ष सत्ताधारी दल के नए मुखिया फुल फॉर्म में चल रहे हैं। उन्होंने पार्टी के जिला अध्यक्षों को सीधे चेतावनी दी है। कहा कि अब पार्टी में पट्ठावाद नहीं चलेगा। आपको किसी नेता ने नहीं, पार्टी ने बनाया है। इसलिए पार्टी के हिसाब से ही काम करना पड़ेगा।
दरअसल, पार्टी अध्यक्ष को लगातार ये शिकायतें मिल रही थी कि कुछ जिलों के अध्यक्ष अपने आकाओं के इशारे पर चल रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं के बजाय नेता विशेष को ही मान-सम्मान मिल रहा है।
मुखिया की चेतावनी के बाद अब ऐसे जिला अध्यक्ष टेंशन में आ गए हैं, जो अपने गॉडफादर के इशारों पर चल रहे हैं।
विधायक ने कुछ इस तरह बयां किया अपना दर्द बुन्देलखंड क्षेत्र में कांग्रेस से बीजेपी में आकर विधायक बने एक माननीय अपने नगर की सरकार से दुखी हैं। वे सत्ता और संगठन को लगातार यहां की करप्शन कथाएं सुनाते रहे हैं। लेकिन, कुछ हुआ नहीं।
विधायक जी ने जब विधानसभा में सवाल लगाया तो जवाब के लिए 9 अगस्त तक की समय सीमा बताई गई। इसके बाद उनका दर्द रामायण की चौपाइयों और शेरो-शायरी के रूप में छलका।
विधायक जी ने कहा- ‘होई है वही जो राम रची राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा’। आपने (सरकार) जब समय तय कर दिया तो उससे पहले कुछ कहना अनुचित होगा। पार्टी के अनुशासन का दंड भी मेरे ऊपर है। पार्टी लाइन भी है।
अपनी बात खत्म करते हुए विधायक जी ने शेर पढ़ा- ‘पीछे बंधे हैं हाथ, मुंह पर पडे़ हैं ताले.. किससे कहें, कैसे कहें कि पैर का कांटा निकाल दो’।
राजा से मिलकर बोले मामा- हम दिल से मिलते हैं दिल्ली में संसद सत्र के दौरान सदन के बाहर मामा जी और राजा साहब की अचानक मुलाकात हो गई। दोनों एक-दूसरे को देखकर रुके, मुस्कुराए और हाथ मिलाए।
तभी वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने राजनीति के विरोधी इन दो दिग्गजों को अपने कैमरे में कैद कर लिया। इस पर मामा जी ने कहा- हम दिल से मिलते हैं। विचार भले ही अलग-अलग हैं। ये सुनकर राजा साहब भी हंस दिया।
अब दोनों पूर्व सीएम का ये वीडियो अब जमकर वायरल हो रहा है। राजा साहब के विधायक बेटे ने भी इसे शेयर कर करते हुए कहा कि राजनीति में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।
एक मांग से लोगों के निशाने पर आ गए सांसद बाबा महाकाल की नगरी के सांसद ने मंदिर की सुरक्षा केन्द्रीय एजेंसी के हवाले करने की मांग रखी है। उनका कहना है कि निजी सुरक्षा एजेंसियों के पास जो जिम्मा है, उसमें लगातार गड़बड़ी और शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसी को ये काम देना चाहिए।
सुधार की आस में सांसद जी ने अपनी मांग रखी। लेकिन, इसे लेकर वह सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गए। इतना ही नहीं राज्य की बजाय केंद्र पर ज्यादा भरोसा दिखाने वाली उनकी इस मांग के राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे हैं।
अचानक फिर से एक्टिव हो गए एक मंत्री के बेटे सत्ताधारी दल के संगठन में बदलाव की बयार चल रही है। लिहाजा कई नेताओं ने अपनी जगह बनाने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर दिए हैं।
मालवा क्षेत्र के एक कद्दावर मंत्री के बेटे की सक्रियता भी तेजी से बढ़ी है। वे अपने पिता के क्षेत्र में न केवल पब्लिक के बीच पहुंच रहे हैं। बल्कि राजनीतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। लोग अब इस सक्रियता के पीछे के संकेतों को ढूंढने में लग गए हैंं।
ऑफिस इंचार्ज बनने के लिए दम लगा रहे नेता जी सत्ताधारी दल में मुखिया बदलने के बाद अब जल्द ही टीम में भी बदलाव होना लाजमी है। पार्टी के ऑफिस इंचार्ज के लिए चंबल संभाग के एक नेता एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। हालांकि, नेता जी के पीछे उन्हीं के इलाके के कई नेता लगे हुए हैं। संघ परिवार से आने वाले नेताजी को पार्टी निगम में कुर्सी नवाज चुकी हैं।
इधर, पार्टी की कमान संभालने के बाद से ही नए मुखिया जी बडे़ सधे हुए कदमों से आगे बढ़ रहे हैं। अब वे किसे ऑफिस का इंचार्ज बनाते हैं ये देखना दिलचस्प होगा।