भक्तों से मिलने शाही सवारी पर निकले भोलेनाथ:महाकाल की तर्ज पर भोपाल में आयोजन

सावन महीने के आखिरी सोमवार भोपाल की जनता कॉलोनी में मां अंबे सरकार मंदिर परिसर में धार्मिक आयोजन हुआ। यहां रविवार को नवमी तिथि पर पारंपरिक आस्था और आध्यात्मिक उल्लास के साथ विशाल पार्थिव शिवलिंग निर्माण किया गया।

कथावाचक शशांक शेखर महाराज के सान्निध्य में भक्तों ने ‘ॐ नम: शिवाय’ की गूंज के साथ श्रद्धा पूर्वक 1,008 पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया। रूद्री पाठ और शिव पंचाक्षरी मंत्रों के जाप से वातावरण शिवमय हो गया। महाराज ने भक्तों को पार्थिव शिवलिंग निर्माण के धार्मिक महत्व और पुण्य फल की व्याख्या करते हुए बताया कि यह पूजा हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली होती है।

महाआरती में पहुंचे सैकड़ों भक्त विशेष श्रृंगार के बाद पार्थिव महाकाल स्वरूप शिवलिंग का षोडशोपचार विधि से पूजन किया गया। इसके बाद गूंजती घंटियों और डमरू नाद के बीच भक्तों ने महाआरती की। भक्ति से ओतप्रोत माहौल में श्रद्धालु ‘हर हर महादेव’ के जयघोष करते दिखे।

आरती के बाद बाबा भोलेनाथ को मणिमहेश रूप में शाही सवारी पर विराजित किया गया। डमरू दल की ताल और बम-बम भोले के नारों के बीच पालकी यात्रा मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर नगर में भव्य भ्रमण पर निकली। आकर्षक साज-सज्जा के साथ शोभायात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

कृत्रिम कुंड में हुआ पार्थिव शिवलिंग विसर्जन नगर भ्रमण के बाद शोभायात्रा संकटमोचन हनुमान मंदिर पहुंची, जहां कृत्रिम रूप से निर्मित कुंड में पूरे विधि-विधान से पार्थिव शिवलिंगों का विसर्जन किया गया। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि यह आयोजन बीते कई सालों से सावन के खास दिनों में निरंतर किया जा रहा है और हर बार इसमें श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भोपाल की लोक आस्था का उत्सव बन चुका है।

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