नर्मदा परिक्रमा करने वालों के ठहरने व भोजन के लिए पथ पर बनेंगे आश्रय गृह, संस्कृति विभाग का डिजाइन मंजूर

भोपाल। नर्मदा की परिक्रमा करने वालों को अब ठहरने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। मध्य प्रदेश सरकार नर्मदा परिक्रमा पथ पर आश्रय गृह बिछाने जा रही है। शुरुआत 10 आश्रयगृहों से हो रही है, जिसे चार करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। बाद में इसकी संख्या हर साल बढ़ाई जाएगी। इन आश्रय गृहों में परिक्रमा करने वालों को ठहरने के साथ ही भोजन की भी व्यवस्था रहेगी। नर्मदा एकमात्र ऐसी नदी है, जिसके उपासक उसकी परिक्रमा करते हैं।करीब 3500 किलोमीटर लंबी यह परिक्रमा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के दुर्गम क्षेत्रों से होकर गुजरती है। अभी तक इस पथ पर यात्री मंदिरों, मठों, आश्रमों और गृहस्थों के घर पर ही ठहरते और भोजन-प्रसादी पाते हैं। इस साल मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यहां सरकारी आश्रयगृह बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए बजट मंजूर हुआ। इसके निर्माण का काम संस्कृति विभाग के तहत जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी को दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
आयोग की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह व सदस्य अंजुम फिरोज की बेंच ने निर्णय सुनाते हुए बीमा कंपनी पर 60 हजार रुपये देने का हर्जाना लगाया। दरअसल जिला उपभोक्ता आयोग में होशंगाबाद रोड निवासी डॉ. रणवीर सिंह, तेजिंदर सिंह व रमनिक कौर ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरंस व बंसल अस्पताल के खिलाफ याचिका 2020 में लगाई थी। इसमें शिकायत की थी कि उन्होंने पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा लिया था। जिसका प्रीमियम 19 हजार रुपये का था। जब उनके पेट में दर्द हुआ और अस्पताल में भर्ती हुआ तो पेट संबंधी बीमारी इको-कार्डियोग्राफी की गई। उनके इलाज में 30 हजार रुपये का खर्च आया। बीमा कंपनी ने बीमा राशि देने से इनकार कर दिया।
बीमा कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया
वहीं, बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता को पहले से ही पेट संबंधी बीमारी थी, लेकिन उन्होंने बीमा लेते समय छुपाया। साथ ही इतनी बड़ी बीमारी नहीं थी कि, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़े। इस आधार पर कंपनी ने क्लेम को निरस्त किया। उपभोक्ता ने तर्क रखा कि वह जानबूझकर अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ, बल्कि डॉक्टरों की सलाह पर वह अस्पताल में भर्ती हुआ। इस संबंध में सभी दस्तावेज आयोग में जमा किए। आयोग ने बीमा कंपनी को इलाज में खर्च 30 हजार रुपये सहित 30 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया।