शूटर्स को पुराने खोखे जमा कराने पर ही मिलेंगे कारतूस:नाम स्पोर्ट्स कोटे से लाइसेंस-कारतूस लेने वालों की होगी पहचान

प्रदेश में शूटिंग से जुड़े खिलाड़ियों को जारी होने वाले कारतूसों के अपराधियों तक पहुंचने के खुलासे ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच में सामने आया कि स्पोर्ट्स कोटे से लाइसेंस लेकर भारी-भरकम कारतूस लेने वाले कई लोगों के पास इनका ठोस हिसाब नहीं है। शुरुआती जांच में ही 3 लाख से ज्यादा कारतूसों का रिकॉर्ड गायब मिला।

आशंका है कि ये कारतूस अपराधियों तक पहुंच रहे हैं। इसीलिए भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने भोपाल में खिलाड़ियों को आवंटित कारतूसों का कोटा निलंबित कर दिया। अब पुराने खोखे जमा करने पर ही इन्हें लाइसेंस मिलेंगे।

इसके अलावा एडिशनल डीसीपी और एसडीएम दो सदस्यीय टीम हर शूटर से पिछले 10 साल का पूरा ब्योरा तलब करेगी। अकेले भोपाल में ही 77 लोगों के पास 150 से ज्यादा बंदूकें हैं। इन्हें हर साल 30.95 लाख कारतूस का कोटा मिलता है। नोटिस जारी कर इन सभी शूटरों से हथियार और कारतूसों का विवरण लेकर पेश होने को कहा जा रहा है।

1 लाख कारतूस का कोटा, साल में रोज प्रैक्टिस करें तो रोज 274 राउंड फायर जरूरी

कई लोगों को एक साल में 1 लाख कारतूस का कोटा है। ये साल के 365 दिन भी प्रैक्टिस करें तो रोज 274 राउंड फायर करने होंगे। ऐशबाग निवासी मारुफ खान के पास 306 बोर की दो, 325 बोर व 0.22 बोर की एक-एक रायफल व 32 बोर की एक पिस्टल है।

शाद शाह के पास पांच रायफल और 15000 कारतूस का कोटा है। इनमें .22 की चार और 306 बोर की एक रायफल है। कोहेफिजा निवासी अब्दुल गनी खान के पास पांच रायफल और 15000 कारतूस का कोटा है। हथियारों में 306 बोर की चार रायफल और एक 12 बोर की बंदूक है।

शाहजहांनाबाद निवासी इमाद शाह के पास सात रायफल और एक लाख कारतूस का कोटा है। इनमें 12 बोर की एक बंदूक, 7 एमएम की रायफल, .22 की दो रायफल, 315 बोर और 306 बोर की एक-एक रायफल हैं। बता दें, अधिकतर लोगों ने एक या दो शूटिंग कॉम्पटीशन में भागीदारी की है, जिसके आधार पर लाइसेंस हासिल किया है। इन लोगों की शूटिंग के क्षेत्र में कोई उपलब्धि नहीं है।

जिला प्रशासन द्वारा भोपाल में दर्ज 77 शूटर्स को आवंटित कारतूसों का हिसाब मांगने का नोटिस जारी करने के बाद कुछ शूटर्स ने जवाब भेजा कि उन्होंने कॉम्पटीशन और इंदौर के महू स्थित रेंज के अलावा अन्य फायरिंग रेंज में प्रेक्टिस की है, लिहाजा उनके पास खोखों का हिसाब नहीं है। वहीं, टीम जब एक शूटर्स के घर जांच के लिए पहुंची तो उसको आवंटित 50 हजार कारतूसों की जानकारी मांगी। इस पर उसने बोरे में रखे खोखे दिखाए।

अधिकतर शूटर्स ने बताया कि वे दिल्ली स्थित नेशनल रायफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से कारतूस खरीदते हैं। यहां उन्हें 22 से 26 रुपए में कारतूस मिलता है। प्रेक्टिस के लिए यहां से पांच से दस हजार कारतूस लिए जाते हैं। रेंज में प्रेक्टिस के बाद इन खोखों को सुरक्षित रखा जाता है।

इधर, जांच टीम ने प्लेटिनम प्लॉजा स्थित आरके गन हाउस में भी जांच की, जहां कारतूस बिक्री रजिस्टर में तो गड़बड़ी नहीं मिली, लेकिन यहां मरम्मत के लिए कई गन रखी हुई थीं। टीम ने जब संचालक राजकुमार नागवंशी से मरम्मत का लाइसेंस मांगा, तो वह नहीं दिखा सका। टीम ने एक और गन हाउस की जांच की है। इसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है।

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