टैरिफ से लगेगी अमेरिका की लॉटरी,क्या ट्रंप कर पाएंगे कर्ज कम?

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया है। ट्रंप का कहना है कि इससे अमेरिका का घाटा कम किया जाएगा। वहीं अमेरिकी कांग्रेस के बजट कार्यालय (CBO) ने भी कुछ ऐसा ही अनुमान जताया है। सीबीओ का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में अमेरिका के घाटे में 4 ट्रिलियन डॉलर (करीब 350 लाख करोड़ रुपये) की कमी आ सकती है।

सीबीओ के अनुसार, अगर ट्रंप के वैश्विक टैरिफ बढ़ते रहे तो रेवेन्यू में वृद्धि से अगले दस वर्षों में प्राथमिक घाटा 3.3 ट्रिलियन डॉलर तक कम हो सकता है। साथ ही, संघीय ब्याज भुगतान में 0.7 ट्रिलियन डॉलर की कटौती हो सकती है। इसका मतलब है कि सरकार को ब्याज चुकाने में कम पैसे खर्च करने होंगे।

…लेकिन कम हो सकता है टैरिफ

अभी यह कहना मुश्किल है कि टैरिफ की दरें यही रहेंगी। क्योंकि व्यापार भागीदारों के साथ बातचीत चल रही है और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी चुनौतियां भी हैं। लेकिन, टैरिफ से होने वाली अतिरिक्त आय, रिपब्लिकन के टैक्स-कट और खर्च बिल से होने वाले घाटे को कम करने में मदद कर सकती है।

कर्ज के ढेर पर बैठा है अमेरिका

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार अमेरिका पर 37.18 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। यह कर्ज रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों सरकारों के दौरान बढ़ता रहा है। क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस लगातार संघीय सरकार को उसकी आय से अधिक खर्च करने की अनुमति देती रही है। कानून निर्माताओं के सामने सितंबर के अंत तक सरकार के लिए धन जुटाने की समय सीमा है। अगर खर्च बिल पास नहीं होते हैं, तो सरकार को कामकाज बंद करना पड़ सकता है।

पहले से बेहतर अनुमान

सीबीओ का यह नवीनतम अनुमान जून में किए गए पूर्वानुमान से बेहतर है। जून में सीबीओ ने प्राथमिक घाटे में 2.5 ट्रिलियन डॉलर और ब्याज भुगतान में 500 बिलियन डॉलर की कटौती का अनुमान लगाया था।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार, अगस्त में अमेरिका में टैरिफ की दरें औसतन 16.7% थीं। जून में यह दर 15.1% थी। इस वित्तीय वर्ष में अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा द्वारा 26 बिलियन डॉलर से अधिक का शुल्क लगाया गया है। पिछले साल यह आंकड़ा कुछ सौ मिलियन डॉलर ही था। इससे पता चलता है कि टैरिफ में कितनी वृद्धि हुई है।

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