मराठी आना फायदेमंद है, मगर इसके लिए हिंसा का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए

इंस्टाग्राम पर अपने कॉमिक कॉन्टेंट के कारण कास्टिंग डायरेक्टर की निगाह में आए कॉन्टेंट क्रिएटर आदित्य ठाकरे को पहली बार के ऑडिशन में ही धड़क 2 जैसी फिल्म में अहम भूमिका मिल गई। मुंबईचा मुलगा आदित्य यहां अपने सफर पर बात करते हैं।अपनी पृष्ठभूमि के बारे में आदित्य ठाकरे बताते हैं, ‘मैं मुंबई में ही पला-बढ़ा हूं। एक्टर बनने का सपना मेरा नहीं था बल्कि मेरे पिता का था। मैं हमेशा कहता हूं कि 1991 में दो लोग दुनिया में आए शाहरुख खान और मेरे पिता, मगर शाहरुख शाहरुख खान बन गए और मेरे पिता एक आम आदमी रह गए। असल में एक जमाने में मेरे पिता भी स्कूल -कॉलेज में एक्टिंग किया करते थे, उन्होंने कसौटी जिंदगी जैसे सीरयल्स में छोटे-मोटे रोल भी किए, मगर वे पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपने अभिनय के शौक को कभी पूरा नहीं कर पाए। रुइया कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद मैं शार्ट फिल्म्स डायरेक्ट करने लगा। लॉकडाउन में रील्स बनाते-बनाते मैं आम जिंदगी से जुड़े कॉमिक कॉन्टेंट बनाने लगा।’
पिता का सपना पूरा किया
कॉन्टेंट क्रिएटर से एक्टर बनने के सफर के बारे में वे कहते हैं, ‘मैं खुशकिस्मत हूं कि आज के दौर में पैदा हुआ, जब आज हमारे पास सोशल मीडिया और इंटरनेट है। आप अपना मौका खुद पैदा कर सकते हैं, जैसे मैंने किया। वरना मेरे पिताजी ने भी अभिनेता के रूप में काफी संघर्ष किया। वे भी अनगिनत ऑडिशन का हिस्सा रहे, मगर उन्हें मेरी तरह मौका नहीं मिला। वे ऑफिस से हाफ डे की छुट्टी लेकर ऑडिशन के लिए जाया करते थे। आज मैंने अपने पिता का सपना पूरा किया है। आपको शायद सुनकर अजीब लगे मगर मेरे पिता मेरी फिल्म 25-30 बार देख चुके हैं, थिएटर में जाकर। मेरे लिए यह गर्व की बात है।’
मुझे जातिगत भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा
जातिगत भेदभाव पर वे कहते हैं, ‘मुझे अपनी जाति का पता ज़िंदगी में दो ही बार चला था, जब मैंने टेंथ और ट्वेल्थ का फॉर्म भरा था। मुझे लगता था कास्ट सिस्टम होता ही नहीं। मगर ये फिल्म करने के बाद मैं इन मुद्दों को जान पाया और मैं इश्यूज के प्रति और संवेदनशील हुआ हूं।’ हमने जब उनसे पूछा कि मुंबई में मराठी भाषा को लेकर जो दबाव बनाया जा रहा है, उसके बारे में उनका क्या कहना है? कई विडियोज में तो इसके लिए हिंसा का सहारा भी लेते हुए दिखाया गया है, तो आदित्य बोले, ‘देखिए, जोर तो नहीं दिया जाना चाहिए। हम सभी वायलेंस के सख्त खिलाफ हैं। मगर किसी भाषा का आना आपके लिए ही फायदेमंद होता है। अगर आपको फ़्रांस जाना होता है, तो आपको वहां फ्रेंच का एग्जाम देना पड़ता है। इससे आपको काम के और मौके मिलेंगे। जो लोग महाराष्ट्र में हैं, उन्हें अगर मराठी नहीं आती, तो थोड़ी बहुत सीख लें, उन्हीं का फायदा होगा। जहां तक इस मुद्दे पर इंटरनेट पर आने वाले विडियोज की बात है, तो 30 सेकंड्स की रील पर क्या भरोसा किया जा सकता है, मगर इतना जरूर कहूंगा कि इस मामले में हिंसा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।’
पहले ऑडिशन में ही फिल्म मिल गई
बॉलिवुड में कई कलाकारों के लिए ऑडिशन का दौर बहुत लंबा होता है, मगर इस मामले में आदित्य ठाकरे भाग्यवान रहे। वे कहते हैं, ‘मैं दोपहर में सो रहा था और मुझे एक ऑडिशन के लिए कॉल आया। ऑडिशन के बाद तीसरा दिन था और हम लोग गणपति विसर्जन के लिए जा रहे थे कि तभी कॉल आई कि करण जौहर के ऑफिस से बोल रहे हैं और आप चुन लिए गए हो। पहले तो मुझे लगा कि कोई प्रैंक कॉल है, मगर बाद में जब अहसास हुआ कि ये सच है, तो मैंने जोर से नारा लगाया, ‘गणपति बप्पा मोरिया’ सबसे बड़ी बात ये है कि ये मेरा पहला ऑडिशन था, जो कास्टिंग डायरेक्टर उत्सव नरूला के जरिए हुआ और मैं पहले ही ऑडिशन में चुन लिया गया। फिल्म थी, धड़क और मेरा रोल था वासु का, जो फिल्म में नायक सिद्धांत चतुर्वेदी का दोस्त का था। तृप्ति और सिद्धांत दोनों ने मुझे हर तरह से सपोर्ट किया।’