कभी गरम कभी नरम… पाकिस्तान को खुश करने की डोनाल्ड ट्रंप की ‘ट्रिक’, शहबाज-मुनीर को इतना मक्खन क्यों लगा रहे?

वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान का रिश्ता हमेशा से ही उलझन भरा रहा है। लंबे समय तक ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका का दोस्त नहीं माना और उस पर कड़ा रुख अपनाया। डोनाल्ड ने एक बार कहा था कि राष्ट्रपति बनते ही वे एक दिन में यूक्रेन युद्ध खत्म कर देंगे। इससे भी पहले उन्होंने कहा था कि वे डॉ. शकील अफरीदी को दो मिनट में जेल से छुड़ा लेंगे। उन्होंने कहा था कि "मैं उनसे कहूंगा, कि उसे छोड़ दो और मुझे यकीन है कि वे उसे छोड़ देंगे।"

लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के इस बड़े वादे के नौ साल से ज़्यादा बीत चुके हैं और अफरीदी, जो सीआईए के लिए काम करते थे और जिन्होंने अमेरिका को ओसामा बिन लादेन को ढूंढने में मदद की थी, वो अभी भी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। क्या ट्रंप पाकिस्तानियों को बताना भूल गए या उन्होंने उनकी बात नहीं मानी? इस सवाल का जवाब ट्रंप के पाकिस्तान के साथ अजीब और बदलते रिश्तों को समझने में मदद कर सकता है।

ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति पहले का रवैया: ‘फ्लॉप’
शुरुआत में ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति रवैया ऐसा था कि किसी भी तरह के रिश्ते की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। उन्होंने दिसंबर 2011 में ट्वीट किया था कि "यह साफ समझ लो, पाकिस्तान हमारा दोस्त नहीं है।" जनवरी 2012 में उन्होंने फिर वैसा ही लिखा और उसी साल जून में उन्होंने सवाल किया, "पाकिस्तान हमें ओसामा बिन लादेन को 6 साल तक सुरक्षित पनाह देने के लिए कब माफी मांगेगा?! कैसा ‘सहयोगी’ है।

ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति नया रवैया: ‘फ्लिप’
पाकिस्तान ने कभी अमेरिका से माफी नहीं मांगी, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पांच महीने के अंदर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने ट्रंप का दिल जीत लिया है। उन्होंने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करने, तेल की अफवाहें फैलाने और पत्थरों का एक डिब्बा जैसी चीजें देकर उन्हें लुभाया है। हमारे पड़ोसी देश से ताजा खबर ये है कि उन्होंने अमेरिका के मिडवेस्टर्न राज्य मिसौरी की एक कंपनी को "समृद्ध दुर्लभ पृथ्वी तत्व और महत्वपूर्ण खनिज" की एक खेप भेजी है
उन्हें "नमूना" कहना चाहिए था, क्योंकि पाकिस्तान से समुद्री जहाज से मिसौरी तक एक महीने से भी कम समय में माल पहुंचना नामुमकिन है। यह समझौता तो 8 सितंबर को ही हुआ था। इन सब से ज्यादा, ट्रंप को जो चीज पिघलाकर मोम जैसा बना रही है, वह है उनकी भरपूर तारीफ। मुनीर ने हाल ही में दावा किया कि ट्रंप ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में कथित तौर पर हस्तक्षेप करके "लाखों-करोड़ों जानें बचाईं"
ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति बहुत पुराना रवैया: ‘फ्लॉप’
अगर हम 40 साल पीछे जाएं, जब ट्रंप 40 साल के भी नहीं थे और तब तक उनकी शादी सिर्फ एक बार हुई थी। तब भी उनका पाकिस्तान को एक संभावित परमाणु हथियार संपन्न देश के रूप में बुरा नजरिया था। इसे रोकने के लिए उन्होंने 1985 के एक इंटरव्यू में रॉन रोसेनबॉम से कहा था कि "आप उन्हें यह कहकर शुरुआत करते हैं, ‘चलो इसे खत्म करते हैं।’ अगर वह काम नहीं करता, तो आप सहायता देना बंद कर देते हैं। और फिर और सहायता, और फिर और सहायता। आप वह सब कुछ करते हैं जो जरूरी है ताकि इन लोगों के सड़कों पर दंगे हों, ताकि उन्हें पानी न मिले। ताकि उन्हें बैंडेज न मिलें, ताकि उन्हें खाना न मिले।"

ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति अचानक बदला नजरिया: ‘फ्लिप’
लेकिन दशकों तक चिल्लाने के बाद, 2017 के आखिर में उनका मन बदल गया: "पाकिस्तान और उसके नेताओं के साथ मेरा रिश्ता बहुत बेहतर होने लगा है।"

फिर से बदला रवैया: ‘फ्लॉप’
लेकिन सिर्फ दो महीने बाद, उन्होंने अपना मन फिर बदल लिया और कहा कि "पिछले 15 सालों में अमेरिका ने पाकिस्तान को बेवकूफी से 33 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता दी है, और उन्होंने हमें सिर्फ झूठ और धोखे के सिवा कुछ नहीं दिया, हमारे नेताओं को उन्होंने मूर्ख समझा है।"

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