भारत करने जा रहा है कुछ ऐसा कि देखता रह जाएगा चीन, इस मामले में ड्रैगन को मिलेगी पटखनी

नई दिल्ली: रेयर अर्थ एलिमेंट्स ( rare earth elements ) यानी दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के मामले में चीन अभी तक भारत समेत दुनिया के कई देशों को आंखें दिखाता रहा है। रेयर अर्थ एलिमेंट्स के भारत को निर्यात करने पर भी चीन ने रोक लगा दी थी। हालांकि चीन ने इसमें थोड़ी ढील दी है, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है। अब भारत सरकार कुछ ऐसा करने जा रही है ताकि रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लिए चीन पर निर्भरता कम हो।

दरअसल, सरकार देश में रेयर अर्थ एलिमेंट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नेशनल क्रिटिकल मिनरल स्टॉकपाइल (NCMS) नाम से एक कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रही है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार यह कदम चीन द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों और अन्य हरित प्रौद्योगिकियों के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल रेयर अर्थ मैग्नेट्स ( rare earth magnets ) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद उठाया गया है। चीन के इस फैसले से दुनिया भर की सप्लाई चेन में बाधा आई है।

निजी कंपनियां भी होंगी शामिल

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हम इस कार्यक्रम के तहत दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का दो महीने का स्टॉक बनाने की सोच रहे हैं। इसमें निजी कंपनियों की भागीदारी पर भी ध्यान दिया जाएगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘शुरुआत में हमारा ध्यान दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर रहेगा।’ अधिकारी ने यह भी बताया कि बाद में इसका दायरा बढ़ाकर अन्य महत्वपूर्ण खनिजों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।’

क्या हैं रेयर अर्थ एलिमेंट्स?

रेयर अर्थ एलिमेंट्स 17 तत्वों का एक ग्रुप है जिनके रासायनिक गुण एक जैसे होते हैं। इन तत्वों का हाई-टेक इस्तेमाल होता है, खासकर रेयर अर्थ मैग्नेट्स के रूप में। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें अनोखे चुंबकीय और विद्युत गुण होते हैं।

क्या है सरकार का प्लान?

यह कार्यक्रम सरकार के घरेलू स्तर पर दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयासों का पूरक होगा। इकोनॉमिक टाइम्स ने पहले बताया था कि एक प्रमुख अंतर-मंत्रालयी पैनल ने अगले पांच वर्षों में 6,000 टन उत्पादन के लक्ष्य के साथ दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 7300 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी।

500 करोड़ रुपये का अलग फंड

नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (National Critical Minerals Mission) के तहत, सरकार ने ‘आपूर्ति में रुकावटों से बचाव और घरेलू उपयोग के लिए खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने’ के लिए 500 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील के शुरुआती संकेतों के बावजूद ये प्रतिबंध अभी भी जारी हैं।

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि स्टॉकपाइलिंग NCMM की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत की घरेलू भंडारों से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों को निकालने की सीमित तकनीकी क्षमता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि अधिकांश आपूर्ति वर्तमान में आयात की जाती है।

भारत में पास कितना भंडार?

अनुमान है कि भारत के पास तटीय और आंतरिक भंडारों में 7.23 मिलियन टन दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड (rare earth oxide) है, जो 13.15 मिलियन टन मोनाजाइट (monazite) में बंद है। यह मोनाजाइट आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में पाया जाता है। सरकार ने अब तक पांच चरणों में नीलामी की है, जिसमें 55 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज ब्लॉकों को बोली के लिए रखा गया है, जिनमें से 34 सफलतापूर्वक आवंटित किए गए हैं। पिछले महीने, सरकार ने अतिरिक्त ब्लॉकों के लिए नीलामी का छठा चरण शुरू किया था।

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