इस दिवाली कैसे पीएंगे बीयर, इस चीज की भयंकर कमी से जूझ रही है इंडस्ट्री

नई दिल्ली: इस साल मौसम ने अजब-गजब रूप दिखाया है। दशहरे में कई जगह रावण जल कर नहीं बल्कि गल कर मरे। क्योंकि दशहरे की शाम में भीषण बारिश हुई। इसके बाद भी मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। अक्टूबर का आधा महीना बीतने को है, लेकिन अभी तक पंखे से छुटकारा नहीं मिला है। ऐसी उमर भरी गर्मी में लोग गला तर करने के लिए बीयर भी खोजते हैं। लेकिन भारत का घरेलू बीयर उद्योग एल्यूमीनियम कैन की गंभीर कमी का सामना कर रहा है। इसकी वजह सरकार का आदेश है।
क्या हुआ है डेवलपमेंट
ब्रूअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) के महानिदेशक विनोद गिरी के मुताबिक क्वालिटी कंट्रोल आर्डर (QCO) के माध्यम से सरकार ने एल्युमीनियम कैन को बीआईएस सर्टिफिकेशन के दायरे में ला दिया है। यह फैसला एक अप्रैल, 2025 से लागू हो गया है। इस आदेश के चलते देश में बीयर के साथ-साथ अन्य पेय पैकेजिंग उद्योग के लिए अल्पकालिक आपूर्ति की समस्याएं पैदा हुई हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में जितनी बीयर बिकती है, उसमें से 85 फीसदी कैन वाली बीयर ही होती है। बोतल में बंद बीयर की हिस्सेदारी महज 15 फीसदी है।
कैन बनाने वालों ने हाथ खड़े किए
देश में एल्युमीनियम कैन के प्रमुख सप्लायर बॉल बेवरेज पैकेजिंग इंडिया और कैन-पैक इंडिया, भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयों में अधिकतम घरेलू क्षमता तक पहले ही पहुंच चुकी हैं। इन कंपनियों का कहना है कि वे कम से कम 6-12 महीनों तक आपूर्ति नहीं बढ़ा पाएंगी, जब तक कि नई प्रोडक्शन लाइन नहीं जुड़ जाती। पहले कैन की आपूर्ति विदेशी सप्लायरों से हो जाती थी।
आयात में है दिक्कत
क्यूसीओ के जारी हो जाने के कारण भारतीय बीयर उद्योग विदेशी विक्रेताओं से बीयर के कैन आयात भी नहीं कर सकता। क्योंकि आयात तभी होगा, जबकि विदेशी सप्लायर भारतीय मानक ब्यूरो से बीआईएस सर्टिफेशन प्राप्त कर ले। उद्योग जगत के जानकार बताते हैं कि बीआईएस सर्टिफिकेशन लेने में महीनों लग जाते हैं। बीएआई ने सरकार से क्यूसीओ मानदंडों में कुछ ढील देने की मांग की है।
सरकार को भी हो सकता है नुकसान
उद्योग का मानना है कि यदि इस कैन सप्लाई की कमी को दूर नहीं किया गया, तो यह न केवल बीयर की उपलब्धता को प्रभावित करेगा, बल्कि सरकार के राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा। एक अनुमान है कि बीयर कैन की कमी से जो साल में 12 से 13 करोड़ यूनिट कैन की बिक्री प्रभावित होगी। उससे सरकार का भी करीब 1,300 करोड़ रुपये का रेवेन्यू घट सकता है। इसलिए बीएआई ने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने और अल्पकालिक समाधान प्रदान करने का अनुरोध किया है। नियामक छूट से आयातित कैन की आपूर्ति को सुचारू बनाने में मदद मिल सकती है, जिससे घरेलू बीयर उद्योग को अपनी विकास गति बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
मांग रहे हैं अल्पकालिक छूट
बीएआई सरकार से ‘अल्पकालिक नियामक छूट’ मांग रहा है। इसका उद्देश्य इस संक्रमणकालीन अवधि के दौरान आपूर्ति की बाधाओं को दूर करना है। यह छूट आयातित कैन को बिना किसी अतिरिक्त बाधा के बाजार में प्रवेश करने की अनुमति दे सकती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या वह बीयर उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए कोई कदम उठाती है। इस मुद्दे का समाधान न केवल बीयर उद्योग के लिए, बल्कि व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।