रूस के साथ यह काम कर डाला, तो भारत की इकॉनमी हो जाएगी ‘झींगा लाला’!

नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा रखा है। इससे भारत का एक्सपोर्ट प्रभावित होने की आशंका है क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। इस बीच सरकार इस नुकसान की भरपाई के उपाय करने में लगी है। इसी कड़ी में रूस के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने की कोशिश की जा रही है। रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर है लेकिन उसके साथ हमारा व्यापार घाटा 59 अरब डॉलर पहुंच चुका है। इसे कम करने के लिए भारत ने रूस को होने वाले समुद्री उत्पादों और कृषि उत्पादों के निर्यात में आने वाली 65 से ज्यादा नॉन-टैरिफ बाधाओं की पहचान की है।
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि भारत रूस से इन नॉन-टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिए बात कर रहा है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर दिक्कतें कृषि और समुद्री उत्पादों से जुड़ी हैं। हाल के वर्षों में रूस ने भारत के कुछ आम और केले की किस्मों को मंजूरी दी है। लेकिन झींगा मछली के निर्यात के लिए भारत की कंपनियों को रूस से मंजूरी एक बड़ी चिंता का विषय है। साल 2024-25 में भारत का रूस को कुल निर्यात 4.88 अरब डॉलर था। इसमें से 123 मिलियन डॉलर का निर्यात सिर्फ फ्रोजन झींगा और झींगा मछली का था।
EAEU के साथ समझौता
इन नॉन-टैरिफ बाधाओं को जल्दी दूर करना भारत के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि 2024-25 में भारत का रूस के साथ 59 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था। अधिकारी ने बताया कि केवल पंजीकृत कंपनियां ही रूस को झींगा भेज सकती हैं। हम इस समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। यूरोपीय संघ (EU) ने भी हमारी कई कंपनियों को मंज़ूरी दी है। इसके अलावा यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन (EAEU) भारत के साथ एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे रहा है। EAEU में रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और आर्मेनिया जैसे देश शामिल हैं
झींगे का निर्यात
इस समस्या को ठीक करना भारत के लिए झींगा निर्यात को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% के भारी टैरिफ के कारण भारत के झींगा निर्यात को पहले ही बड़ा झटका लगा है। भारत रूस को फ्रोजन मछली का मांस, फ्रोजन रॉक लॉबस्टर, सी क्रॉफिश, कटलफिश और स्क्विड जैसे उत्पाद ज्यादा मात्रा में निर्यात करने का अवसर भी देख रहा है। वियतनाम, इक्वाडोर और इंडोनेशिया जैसे देश रूस में इन उत्पादों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं।