कार, चिप, टैंक, फाइटर प्लेन… क्या दुनिया को कंट्रोल करने निकल पड़ा है चीन? ड्रैगन का यह प्लान हैरान कर देगा

नई दिल्ली: क्या चीन दुनिया पर अपना कंट्रोल करना चाहता है? चीन ने एक्सपोर्ट से संबंधित कुछ ऐसे नियम बनाए हैं जो भारत समेत दुनिया के बड़े-बड़े देशों को हैरान कर सकते हैं। दरअसल, चीन ने अपने निर्यात पर नए नियम लागू किए हैं। ये नियम दुनिया भर के व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं। न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक ये नियम 8 नवंबर और 1 दिसंबर से लागू होंगे। इन नियमों के तहत, चीन अब कारों, कंप्यूटर चिप्स, टैंकों और लड़ाकू विमानों जैसे कई महत्वपूर्ण उत्पादों के एक्सपोर्ट को कंट्रोल करेगा। यह कदम अमेरिका और यूरोप के साथ चीन के व्यापारिक संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर रहा है।

कई चीजों पर लगा रहा रोक

ये नए नियम सिर्फ रेयर अर्थ मेटल्स ( rare earth metals ) और उनसे बने चुंबकों (magnets) तक ही सीमित नहीं हैं। अब चीन दुनिया भर में इलेक्ट्रिक मोटर, कंप्यूटर चिप्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्यात पर भी रोक लगा रहा है। ये सभी चीजें आज की आधुनिक दुनिया के लिए बहुत जरूरी हैं और इनका ज्यादातर प्रोडक्शन चीन में ही होता है। चीन ने अप्रैल में रेयर अर्थ मेटल्स से संबंधित नियम लागू किए थे।

क्या हैं चीन के नए नियम?

इन नए नियमों के अनुसार, चीन अब किसी भी देश को ऐसे सामान या पुर्जे नहीं बेचेगा जिनका इस्तेमाल सैन्य उपकरणों में होता है। इसमें मिसाइलों और लड़ाकू विमानों में लगने वाले छोटे लेकिन शक्तिशाली इलेक्ट्रिक मोटर और टैंकों व तोपों में इस्तेमाल होने वाले रेंज फाइंडर के लिए जरूरी सामान शामिल हैं। रेंज फाइंडर वो उपकरण होते हैं जो दूर के लक्ष्यों को सटीक निशाना लगाने में मदद करते हैं।

पश्चिमी देशों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्हें डर है कि इन नियमों से यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने और रूस के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए यूरोप की अपनी सेनाओं को मजबूत करने के प्रयासों में बाधा आ सकती है। कई यूरोपीय देशों को अपनी सेनाओं के लिए दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और अन्य जरूरी सामानों की जरूरत है, जो चीन से आते हैं।

नए नियमों का क्या असर?

  • इन नए नियमों का मतलब है कि जो कंपनियां हथियार नहीं बनाती हैं और वे चीन में बने किसी भी उत्पाद को दुनिया के किसी भी देश में भेजना चाहती हैं तो उन्हें भी चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री से एक्सपोर्ट लाइसेंस लेना होगा।
  • इन नियमों के तहत निर्यातकों को अब हर उस प्रोडक्ट की टेक्निकल ड्रॉइंग जमा करनी होगी जिन्हें उनके ग्राहक चीन की दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का उपयोग करके बनाना चाहते हैं।
  • साथ ही निर्यातकों को यह भी बताना होगा कि ये प्रोडक्ट ग्लोबल सप्लाई चेन में कैसे आगे बढ़ेंगे।

ऑटो इंडस्ट्री पर भी ज्यादा असर

हथियार बनाने वाली कंपनियों के बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला क्षेत्र माना जा रहा है। दुर्लभ पृथ्वी उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि पुर्जे बनाने वाली हजारों कंपनियां पहले से ही चीन द्वारा अप्रैल में लगाए गए उन नियमों से परेशान थीं, जिनके तहत कई तरह के दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों को लाइसेंस के बिना देश से बाहर नहीं ले जाया जा सकता था।

एक सामान्य पेट्रोल कार में 40 से ज्यादा दुर्लभ पृथ्वी चुंबक हो सकते हैं। ये चुंबक इलेक्ट्रिक मोटरों में इस्तेमाल होते हैं जो ब्रेक, सीटें, स्टीयरिंग, पावर विंडो और अन्य सिस्टम को चलाते हैं। इलेक्ट्रिक कारों में तो और भी ज्यादा दुर्लभ पृथ्वी चुंबक होते हैं, जिनका इस्तेमाल पहियों को घुमाने के लिए किया जाता है।

कई कंपनियों ने उठाया यह कदम

कई पुर्जे बनाने वाली कंपनियों ने चीन से दुर्लभ पृथ्वी चुंबक खरीदकर चीन के बाहर इलेक्ट्रिक मोटर बनाना बंद कर दिया है। अब वे सीधे चीन से बने-बनाए इलेक्ट्रिक मोटर खरीदकर चीन के नियमों से बचने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन चीन के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित नवीनतम नियमों से यह तरीका भी बंद हो सकता है।

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