राष्टीय पक्षी पहाड़ी मैना के संरक्षण-संवर्धन से राष्ट्रीय उद्यान में 600 से अधिक मैना दिखे

जगदलपुर। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों में पाई जाने वाली राष्टीय पक्षी बस्तर की पहाड़ी मैना के इसके संरक्षण के लिए एक अनुठा प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत मैना की संख्या में लगातार बढ़ोतरी रही है, जबकि इसके पूर्व पहाड़ी मैना को देखने के लिए कई किलोमीटर दूर पहाडिय़ों पर जाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक नवीन कुमार ने बताया कि स्थानिय समुदाय और विभाग के संयुक्त प्रयास से छत्तीसगढ़ का गौरव पहाड़ी मैना पहले से अधिक सुरक्षित और समृद्ध रूप में जंगलों में गूंज रहा है। परिणाम सकारात्मक मिलने लगे हैं जिसके तहत वर्ष 2022 में जहां केवल 50 से 60 मैना के झुंड को कोटमसर और नागलसर क्षेत्रों में देखा गया था।
वहीं वर्ष 2025 में 600 से अधिक मैना अब 25 गांवों में 50 से 60 झुंडों में विचरण करते देखे जा रहे हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक नवीन कुमार ने बताया कि छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना अपनी मधुर आवाज एवं इंसानों की बोली की नकल करने एवं स्पष्टता से बेलने और आकर्षक रूप रंग के लिए प्रसिद्ध है। जब कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहाड़ी मैना की संख्या में कमी दर्ज की गई, तब वन विभाग कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा इनके संरक्षण के लिए बस्तर पहाड़ी मैना संरक्षण एवं संवर्धन परियोजना प्रारंभ की गई। इस परियोजना के अंतर्गत राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्रामीण युवकों को मैना मित्र के रूप में शामिल किया गया ताकि उन्हें रोजगार से भी जोड़ा जा सके और साथ ही संरक्षण कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) श्रीमती स्टायलो मंडावी ने आज बताया कि कांगेर घाटी के मैना मित्रों और मैदानी कर्मचारियों द्वारा घोंसलों के संरक्षण और अनुकूल आवासीय वातावरण सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। कठफोड़वा द्वारा बनाए गए प्राकृतिक छेदों में इनके घोंसलों की नियमित निगरानी की जा रही है, ताकि इनके प्रजनन स्थलों को सुरक्षित रखा जा सके। पहाड़ी मैना की काली चमकदार पंखुडिय़ां और पीली कलगी इसे छत्तीसगढ़ की गौरव का प्रतीक बनाती हैं।
राज्य में इसके संरक्षण और संवर्धन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इन पक्षियों को निवास स्थान के नुकसान और अवैध व्यापार जैसे खतरों से बचाने हेतु वन विभाग द्वारा सतत सतर्कता बरती जा रही है। श्रीमति स्टायलो ने बताया कि जैसे-जैसे मानसून करीब आता है यह इनके प्रजनन काल के अंत का संकेत होता है। इस अवधि में वन विभाग के कर्मचारी और मैना मित्र दोनों ही इनके आवास की सुरक्षा और घोंसलों के संरक्षण में सक्रिय रूप से जुटे रहते हैं। अब मैना झूंड के झूंड में दिखाई देने लगी है।