वन भूमि अतिक्रमण के साधारण मामले कोर्ट से होंगे वापस:जिला स्तरीय समितियां लेंगी फैसले

राज्य सरकार ने वन भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाए जाने के बाद कोर्ट में चल रहे इससे संबंधित केस वापस लेने की तैयारी की है। इसको लेकर वन विभाग ने वन बल प्रमुख को निर्देश जारी कर कहा है कि जिला स्तरीय समितियों के माध्यम से कार्रवाई की जाकर इस तरह के मामले खत्म किए जाएं।

इसके विपरीत वन अपराधों से संबंधित केस वापस नहीं होंगे, यह भी स्पष्ट किया गया है। उधर मुख्यमंत्री ने अतिक्रमण से मुक्त होने वाली ऐसी भूमि पर समृद्ध वन विकसित करने के भी निर्देश वन अफसरों को दिए हैं।

वन विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि जिला स्तरीय समितियां प्रदेश में वन भूमि के अतिक्रमण से मुक्त होने पर ऐसे मामलों में चल रहे कोर्ट प्रकरणों को वापस लिया जाए। जिला स्तरीय समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंगे और डीएफओ सदस्य तथा जिला अभियोजन अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। इनके द्वारा न्यायालयीन मामलों की लगातार समीक्षा और परीक्षण कर निर्णय लेने की कार्यवाही की जाएगी।

3470 केस वन विभाग और 4443 मामले कोर्ट में विचाराधीन

वन विभाग के अफसरों के अनुसार वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू होने पर 13 दिसम्बर 2005 तक वन भूमि पर आदिवासियों द्वारा किए गए अतिक्रमण संबंधी साधारण वन अपराध के मामलों को जांच की प्रक्रिया से वापस लेते हुए निरस्त करने के आदेश 6 अगस्त 2006 को दिए गए हैं।

इसके बाद पिछले दस सालों में आदिवासियों पर दर्ज अपराधों की सूची तैयार की गई है, जिसमें 3470 मामले वन विभाग के पास हैं। इसके अलावा 4443 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। इन अपराधों में वन कटाई, अतिक्रमण, अवैध उत्खनन, वन्य प्राणी संबंधी अपराध शामिल हैं। इनमें से जिन मामलों में कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है, उन मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया तय कर दी गई है।

ऐसे मामलों में केस नहीं होंगे वापस

जिन वन अपराधों में वाहनों की जब्ती और राजसात संबंधी कार्यवाही होना है और अवैध आरा मशीन संचालन, संगठित रूप से की गई अवैध पेड़ों की कटाई अवैध उत्खनन, शिकार, वन्य प्राणियों को हानि पहुंचाने संबंधी केस कोर्ट में दायर हैं, उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। इसके साथ ही वन्य प्राणियों के रहवास को नुकसान पहुंचाने, वन भूमि पर संगठित होकर अवैध गतिविधियां संचालित करने, शस्त्रों का प्रयोग करते हुए हिंसक गतिविधियों को अंजाम देकर अतिक्रमण करने संबंधी मामले वापस नहीं लिए जाएंगे।

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