राजस्व वसूली में पिछड़ रही मोहन सरकार:छह माह में 38 हजार करोड़ का कर्ज लिया, लक्ष्य से 2600 करोड़ कम हुई जीएसटी आय

चालू वित्त वर्ष में अब तक 38 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के बावजूद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार प्रदेश की आमदनी बढ़ाने में सफल नहीं हो पाई है। जीएसटी, आबकारी, वैट, परिवहन और पंजीयन विभागों से अपेक्षित राजस्व वसूली नहीं हो सकी है। छह माह की समीक्षा रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

मुख्यमंत्री ने सोमवार को हुई बैठक में राजस्व बढ़ाने वाले सभी विभागों को निर्देश दिए कि टारगेट हासिल करने के लिए अभियान चलाया जाए। मुख्य सचिव अनुराग जैन की मौजूदगी में हुई बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो सरकार को 5 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घाटा झेलना पड़ सकता है।

19,600 करोड़ का लक्ष्य था 16,956 करोड़ वसूली

सरकार ने इस वित्त वर्ष के बजट में जीएसटी से 42,140 करोड़ रुपए वसूली का अनुमान लगाया था, जिसे बाद में घटाकर 37,533 करोड़ रुपए कर दिया गया। सितंबर तक 19,600 करोड़ रुपए वसूली के लक्ष्य के मुकाबले अब तक केवल 16,956 करोड़ रुपए ही वसूल हुए हैं। यानी 2,644 करोड़ की कमी दर्ज की गई है।

वर्ष 2023 में जीएसटी और वैट से सरकार को 22,273 करोड़, जबकि 2024 में 22,967 करोड़ रुपए मिले थे। चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह में सिर्फ 10,857 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए हैं।

महीनेवार जीएसटी वसूली आंकड़े भी चिंता बढ़ाने वाले हैं

  • अप्रैल: ₹2,726 करोड़
  • मई: ₹1,911 करोड़
  • जून: ₹1,989 करोड़
  • जुलाई: ₹2,209 करोड़
  • अगस्त: ₹2,022 करोड़

राजस्व में लगातार गिरावट को देखते हुए वित्त विभाग ने विभागीय प्रमुखों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि राजस्व संग्रहण की गति तेज की जाए अन्यथा आगामी तिमाही में बजटीय संतुलन बनाए रखना कठिन होगा।

30 सितंबर की स्थिति में सरकार को मिले राजस्व और घाटे की स्थिति

  • जीएसटी से 42140 करोड़ मिलने का अनुमान था और अब तक 16956 करोड़ वसूली हुई है। वसूली में 13.5 प्रतिशत गिरावट आई है। छह माह में 9850 करोड़ वसूली का टारगेट तय था।
  • वैट से 22861 करोड़ का राजस्व मिलने का अनुमान था। इसके विपरीत 8909 करोड़ ही वसूले जा सके हैं। इसमें 9.1 प्रतिशत कमी पाई गई है।
  • आबकारी विभाग से 1800 करोड़ के लक्ष्य के विपरीत 8293 करोड़ वसूले गए हैं। इसमें एक प्रतिशत की वृद्धि पाई गई है।
  • स्टांप शुल्क और पंजीयन से 13920 करोड़ मिलना थे, जिसमें से 5800 करोड़ जमा हो सके हैं। इसमें छह माह में 270 करोड़ कम आए हैं जो 4.4 प्रतिशत कम है।
  • खनिज से 13069 करोड़ का राजस्व मिलना था जिसमें से 4853 करोड़ ही वसूले जा सके हैं। यह लक्ष्य के मुकाबले 142 करोड़ यानी 2.8 प्रतिशत कम है।
  • परिवहन विभाग द्वारा 5700 करोड़ रुपए वसूलना था जिसमें से 1905 करोड़ वसूले जा सके हैं और 618 करोड़ कम आए हैं। कुल 24.5 प्रतिशत कम वसूली बताई जा रही है।
  • ऊर्जा विभाग से 5500 करोड़ मिलने थे जिसके विपरीत 2172 करोड़ मिले हैं और 333 करोड़ का घाटा अभी है जो 13.3 प्रतिशत कम है।
  • वन विभाग से 1700 करोड़ वसूलना था जिसके विपरीत 798 करोड़ सरकार के खजाने में आए हैं और यह 1.6 प्रतिशत अधिक है।
  • जल संसाधन विभाग को 750 करोड़ वसूलने के टारगेट के विपरीत 237 करोड़ मिले हैं जो 20.1 प्रतिशत कम वसूली वाला है।
  • सरकार को कुल 131864 करोड़ के राजस्व वसूली के टारगेट के विपरीत 30 सितंबर तक 54131 करोड़ ही मिल सके हैं जो अब तक के तय टारगेट से 4694 करोड़ यानी 8 प्रतिशत कम है।

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