अफसर बोले- भोपाल में किसानों की वजह से धंसी सड़क:किसानों का जवाब- अपनी गलती हमारे नाम कर रहे; 10 दिन में रिपेयर का दावा

भोपाल बायपास की सड़क का 100 मीटर का हिस्सा फेल सिस्टम की वजह से धंसा है, लेकिन मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC) के अफसर इसे किसानों की गलती बता रहे हैं। जबकि, किसानों का कहना है कि अफसर अपनी लापरवाही छिपाने के लिए आरोप लगा रहे हैं।

हकीकत यह है कि अफसरों ने 4 महीने में सिर्फ एक बार ही निरीक्षण किया। यही वजह है कि ब्रिज के पास भरा पानी जिम्मेदारों को नहीं दिखा। अब जनरल मैनेजर सोनल सिन्हा 10 दिन में धंसे हिस्से को रिपेयर करने का दावा कर रही हैं, लेकिन एक्सपर्ट की माने तो यदि बिना डामर का रास्ता भी बनाया तो इसमें कम से कम 25 दिन लग सकते हैं।

एक्सपर्ट स्ट्रक्चरल इंजीनियर सुयश कुलश्रेष्ठ का कहना है कि 10 दिन में किसी भी हाल में सड़क नहीं सुधर सकती, क्योंकि 100 मीटर लंबा और 20 फीट गहरा गड्‌ढा है। खेत में पानी भी भरा है। इसे निकालने के लिए रिटेनिंग वॉल भी बनना है।

हालांकि, सिर्फ दस दिन में इतना बड़ा हिस्सा ठीक करने के दावे पर जब सिन्हा से बात की गई तो उनका कहना- सड़क पर बड़ा गड्‌ढा है। यदि भूल से कोई इस दिशा में आ गया तो हादसा होने की संभावना है। इसलिए गड्‌ढे को इतना भर देंगे कि हादसे का खतरा न रहे। सिन्हा ने माना कि 25 से 30 दिन में ही रिटेनिंग वॉल और पूरी तरह से रिपेयरिंग हो सकेगी।

इधर, सड़क धंसने के मुद्दे पर जब विभाग के मंत्री राकेश सिंह से सवाल पूछा तो वे खीज गए। उन्होंने कहा कि सड़कों का औचक निरीक्षण कराते हैं। इस सड़क का भी निरीक्षण कराया था। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।

जून में निरीक्षण, इसके बाद नहीं पहुंचे अफसर मेंटेनेंस नहीं होने से 50 किलोमीटर लंबे बायपास की हालत खस्ता है। करीब 30 किमी का हिस्सा जर्जर है। जगह-जगह गड्‌ढे हो रहे हैं। जून महीने में एमपीआरडीसी के अफसरों ने निरीक्षण किया। इसके बाद एक बार भी वे सड़क या ब्रिज की हालत देखने नहीं निकले।

दूसरी ओर, सड़क धंसने के बाद अफसर जागे और सड़क की रिपेयरिंग शुरू करा दी गई। विदिशा रोड चौराहा, आशाराम चौराहा, कान्हासैया, ट्रांसपोर्ट नगर, कोकता, मिसरोद की तरफ सड़कों पर डामर बिछाया जा रहा है। बता दें कि कई जगहों पर सड़क पर एक से डेढ़ फीट तक के गड्‌ढे हो चुके हैं। इस वजह से वाहन चालकों को गुजरने में दिक्कतें होती हैं।

जिम्मेदारी तय करने के लिए 7 दिन इधर, मामले की जांच और जिम्मेदारी तय करने के लिए एमपीआरडीसी ने एक टीम बनाई है, जो सात दिन में रिपोर्ट देगी। टीम में चीफ इंजीनियर बीएस मीणा, जनरल मैनेजर मनोज गुप्ता और आरएस चंदेल शामिल हैं। सवाल यह उठता है कि जब पहले से बायपास को लेकर सबकी जिम्मेदारी तय है तो फिर जांच में इतना समय क्यों?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button