53 साल की उम्र में दौड़ेंगे MP के ‘फ्लाइंग’ अफसर:चेन्नई में होगी एशिया मास्टर्स चैम्पियनशिप

चेन्नई में 5 से 9 नवंबर के बीच होने जा रही 23वीं एशिया मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एमपी के ‘फ्लाइंग’ अफसर विनोद सोनकिया भी दौड़ेंगे। 53 साल के सोनकिया भोपाल में एसडीएम है। वे चैम्पियनशिप में भारत की तरफ से 200 और 400 मीटर दौड़ लगाएंगे।

इस टूर्नामेंट में भारत सहित एशिया महाद्वीप के 28 देश के एथलेटिक्स हिस्सा लेंगे। इसके लिए डिप्टी कलेक्टर सोनकिया हर रोज 3 से 4 घंटे पसीना बहा रहे थे। इसी साल मार्च में उन्होंने ओपन स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 200 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीतकर सबको चौका दिया था। उनकी रेस 10-20 नहीं, बल्कि करीब 200 एथलेटिक्स से थी। इनमें हर उम्र के एथलेक्टिस थे, लेकिन सोनकिया ने सबको मात देकर गोल्ड हासिल कर दिया।

इसके बाद नेशनल और इंटरनेशनल की तैयारी करने लगे। अभी वे टीटी नगर स्टेडियम में रोज सुबह 18 से 22 साल उम्र के एथलेक्टिस के साथ कर रहे हैं। कभी वे बचपन में अपने गांव के खेल मैदान में गड्‌ढों की वजह से रेस पूरी नहीं कर पाए थे, लेकिन जब दौड़े तो मेडल्स की झड़ी लगा दी।

इस बीच 17 साल का ब्रेक और फिर कमबैक की उनकी कहानी भी दिलचस्प है। उन्हें अब ‘फ्लाइंग’ अफसर के नाम से भी पहचाना जाने लगा है।

नौवीं में जिद करके ट्रैक पर उतरे, पर रेस पूरी नहीं की सोनकिया बताते हैं कि 1985 में नौवीं क्लास में था। तब 14 साल उम्र थी। तब स्कूल में संभाग स्तरीय प्रतियोगिता हुई। जिद में ट्रैक पर उतर गया, लेकिन बिना तैयारी के। 100 मीटर दौड़ में हिस्सा लिया, लेकिन गड्‌ढों की वजह से गिर गया। दूसरी ओर, आखिरी पाइंट पर पापा इंतजार कर रहे थे, पर मैं पहुंचा ही नहीं। ये बात चुभ गई और ठान लिया कि अब जमकर दौडूंगा।

इसी बीच साल 1989 में कॉलेज पहुंच गया। यहां कोच की देखरेख में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में उतरा। साल 1992 में बनारस में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट हुआ था। जिसमें 200 मीटर की दौड़ 22.7 सेकेंड में पूरी कर ली। यह उस समय रिकॉर्ड बन गया। लगातार 5 साल तक यूनिवर्सिटी चैंपियन रहा।

पढ़ाई की वजह से दौड़ना बंद कर दिया सोनकिया ने बताया, कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश शुरू करने लगा। इस कारण वर्ष 1995 से दौड़ना बंद कर दिया। इसी दौरान 1 साल बड़ौदा डिवीजन में स्टेशन मास्टर और इसके बाद 11 महीने तक टीकमगढ़ में डिप्टी जेलर रहा। साल 1999 में नायब तहसीलदार बना। मैदानी नौकरी होने से दौड़ना ही भूल गया, जो लगातार 2012 तक रहा। 17 साल तक दौड़ से दूर रहा।

ब्लड प्रेशर बढ़ा मिला, इसलिए फिर से दौड़ना शुरू कर दिया साल 2013 में सोनकिया की छतरपुर में बतौर तहसीलदार पद पर पोस्टिंग थी। इसी दौरान उन्होंने ट्रैक पर फिर कमबैक किया। इस बारे में सोनकिया बताते हैं कि मैं और मेरे चाचा एक शादी से लौट रहे थे। तभी रास्ते में उनकी तबीयत बिगड़ गई। तुरंत डॉक्टर के पास लेकर पहुंचा और कुछ जांचें करवाईं। तहसीलदार होने के नाते डॉक्टर ने मेरी भी ब्लड प्रेशर की जांच कर दी, जो बढ़ा हुआ निकला।

सोनकिया बताते हैं कि ये जांच करवाने के बाद पूरी रात सो नहीं पाया। अगले दिन फिर से जांच करवाई तो कोलेस्ट्रॉल भी ज्यादा निकला। इसे कम करने के लिए योग और दौड़ना शुरू कर दिया। एक अफसर मित्र ने बताया कि सिविल सर्विसेस ऑल इंडिया होता है। फिर ठान लिया कि इसमें भाग लूंगा। इसी बीच भोपाल आ गया। टीटी नगर स्टेडियम में कोच एसके प्रसाद की गाइड में प्रैक्टिस शुरू की।

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