सूर्य को अर्घ्य देकर आज होगी छठ की मुख्य पूजा:भोपाल के 52 घाटों पर शाम से जुटेंगे श्रद्धालु, गूंजेंगे छठ मैया के गीत

सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा का सोमवार को तीसरा दिन है। आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी को अस्ता चलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

राजधानी के सभी 52 घाटों पर शाम को श्रद्धालु पहुंचेंगे और सूर्य देव को दूध व जल से अर्घ्य अर्पित करेंगे। नगर निगम और प्रशासन ने घाटों पर साफ-सफाई, लाइटिंग और सुरक्षा व्यवस्था पूरी कर ली है।

आज दिनभर व्रती महिलाएं छठ प्रसाद की तैयारी में जुटी रहेंगी। ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहा जाता है, इसके अलावा चावल के लड्डू, सांचा और मौसमी फल छठ प्रसाद में शामिल किए जाएंगे।

शाम को पूजा के लिए बांस की टोकरी और सूप में फल, ठेकुआ और दीप सजाए जाएंगे। इसी सजे हुए सूप से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाएगी।

अस्त होते सूर्य को देंगे अर्घ्य संध्या के समय जब सूर्य पश्चिम दिशा में अस्त होने लगता है, तब श्रद्धालु घाटों पर जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दौरान व्रती अपने हाथों में फलों और प्रसाद से भरा दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की उपासना करेंगी।

माना जाता है कि शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देने से नेत्रज्योति बढ़ती है और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अर्घ्य के बाद श्रद्धालु रातभर छठी मैया के भजन और पारंपरिक लोकगीतों का गायन करेंगे।

घाटों पर भक्ति का माहौल रहेगा और श्रद्धालु पूरी रात जागरण करेंगे। भोपाल में शीतलदास की बगिया, कमला पार्क, वर्धमान पार्क, खटलापुरा घाट और प्रेमपुरा घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटने की संभावना है।

तीसरा दिन : तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन प्रसाद में ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। चढ़ावे में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है। शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, और सभी मिलकर सूर्य देव को नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य देते हैं।

सूर्य को दूध और जल दोनों से अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद छठ मैया की भरे सूप से पूजा की जाती है और सारी रात छठी माता के गीत गाये जाते हैं। इसी दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य के दौरान छठ व्रती हाथों में फल और प्रसाद से भरा दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की उपासना करती हैं।

शाम को सूर्य की अंतिम किरण प्रत्युषा को अर्घ्य देकर नमन किया जाता है। माना जाता है कि छठ में शाम के वक्त सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। साथ ही लंबी आयु की भी प्राप्ति होती है।

चौथा दिन : छठ के चौथे दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त होता है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रती छठ का प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलती हैं। इसके बाद पारण होता है, जिसमें व्रती चावल, दाल, सब्जी, साग, पापड़, चटनी, बड़ी, पकौड़ी, आदि चीजें खाती हैं और उसके बाद पूरा परिवार खाना खाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button