छत्तीसगढ़ में आज से बिजली बिल हाफ योजना लागू, 42 लाख उपभोक्ताओं को सीधा फायदा

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की घोषणा के बाद पूरे प्रदेश में आज से बिजली बिल हाफ योजना फिर से लागू हो गई। इस योजना का सीधा लाभ उन परिवारों को मिलेगा जिनकी मासिक खपत 200 यूनिट तक है। ऐसे उपभोक्ता अब अपने बिल का केवल आधा भुगतान करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा विधानसभा के विशेष सत्र में की, जहां उन्होंने कहा कि सरकार आम जनता को आर्थिक राहत देने के लिए प्रतिबद्ध है।

चार महीने पहले हुआ था बड़ा बदलाव
इससे पहले 1 अगस्त 2025 को सरकार ने पुराने प्रावधानों में संशोधन किया था। भूपेश बघेल सरकार के समय लागू 400 यूनिट की सीमा को घटाकर 100 यूनिट कर दिया गया था। इस बदलाव का असर लाखों उपभोक्ताओं पर पड़ा और कई परिवार योजना के दायरे से बाहर हो गए थे। नई सरकार के फैसले से अब फिर बड़ी संख्या में उपभोक्ता राहत पा सकेंगे

सरकार ने पीएम सौर योजना को बढ़ावा देने के लिए भी नई पहल जोड़ी है। जिन उपभोक्ताओं की मासिक खपत 200 से 400 यूनिट के बीच है, वे भी अगले एक साल तक 200 यूनिट पर हाफ बिल का लाभ ले सकेंगे। यह अंतरिम राहत इसलिए दी गई है ताकि उपभोक्ता इस अवधि में पीएम सौर योजना के लिए पंजीकरण करा सकें और अपने घरों में सोलर पैनल लगवा सकें। सरकार का अनुमान है कि 45 लाख बिजली उपभोक्ताओं में से 42 लाख को इस निर्णय से सीधा लाभ मिलेगा।

जनता को राहत, विपक्ष का हमला जारी
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि विशेष सत्र ऐतिहासिक था और जनता को राहत देना इसका सबसे अहम हिस्सा था। सत्र से पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने मांग की थी कि राज्य को ऐसी सौगात दी जाए जो लंबे समय तक याद रखी जाए।

हालांकि कांग्रेस ने विधानसभा और सड़क दोनों जगह इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भूपेश बघेल सरकार 400 यूनिट तक हाफ बिजली बिल का लाभ दे रही थी और नई सरकार को उसी व्यवस्था को बहाल करना चाहिए। पार्टी ने इस मुद्दे पर सीएम हाउस घेराव की घोषणा भी कर दी है।

हाफ बिजली बिल योजना क्या है
हाफ बिजली बिल योजना 1 मार्च 2019 को शुरू की गई थी। इसका मकसद घरेलू उपभोक्ताओं को बढ़ती महंगाई से राहत देना था। 

योजना के तहत:
400 यूनिट या उससे कम खपत पर उपभोक्ता को केवल आधा बिल भरना होता था।
अगर खपत 400 यूनिट से ज्यादा होती थी, तो पहले 400 यूनिट पर आधी दर लागू रहती थी और उसके बाद की यूनिट पर तय सामान्य दरें ही लगती थीं।

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