सवालों पर उठे सवाल:कांग्रेस विधायकों की शिकायत, मानसून सत्र में सवाल बदल दिए… यह विशेषाधिकार का हनन

विधानसभा का शीत सत्र शुरू होने से पहले सदन में विधायकों द्वारा उठाए जाने वाले सवालों पर ही सवाल उठ खड़े हो गए हैं। कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधानसभा के मानसून सत्र में उनके द्वारा पूछे गए सवालों का मजमून बदले जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिकायत की है।
कुछ विधायकों ने तो इसे विशेषाधिकार हनन बताते हुए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई तक की मांग की है। तीन माह पहले लिखे गए यह शिकायती पत्र शीत सत्र से ठीक पहले सामने आने पर विधानसभा सचिवालय की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
जिन विधायकों ने सवालों का बदले जाने की शिकायत की है, उनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन, राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह, सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल, जौरा विधायक पंकज उपाध्याय, तराना विधायक महेश परमार शामिल हैं। इससे पहले विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान श्योपुर विधायक बाबू जंडैल सिंह ने भी सदन में उनके द्वारा पूछे गए सवाल को बदल दिए जाने का आरोप लगाया था।
विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि कई बार विधायक शब्द सीमा से ज्यादा लंबे सवाल पूछ लेते हैं। ऐसे में अध्यक्ष की अनुमति से उसे छोटा कर दिया जाता है। यदि प्रश्न का उत्तर ज्यादा बड़ा हो रहा है, तो पूरे प्रदेश की जानकारी के बदले केवल एक जिले की जानकारी तक सीमित किया जाता है।
प्रश्न को काटकर छोटा किया जाता है, लेकिन उसकी मूल भावना को ठेस नहीं पहुंचाई जाती। विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीतासरन शर्मा का कहना है कि निर्धारित सीमा से ज्यादा लंबे प्रश्नों को छोटा जरूर किया जाता है, लेकिन उनका मूलभाव नहीं बदला जाता।
पांच विधायक और उनके सवाल, जो बदले जाने के आरोप
मानसून सत्र के दौरान चार सवाल पूछे थे, जिनमें प्रदेश स्तर की जानकारी मांगी थी, लेकिन सचिवालय ने उनकी इजाजत के बगैर इसे धार जिले तक सीमित कर दिया। ये विधायकों के विशेषाधिकार का हनन है। 4 अगस्त को इसकी शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
– प्रताप ग्रेवाल, विधायक सरदारपुर
उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित प्रश्न में प्राइवेट यूनिवर्सिटी में फीस निर्धारण की प्रक्रिया से जुड़ी विस्तृत जानकारी मांगी थी। लेकिन विस सचिवालय ने प्रश्न में संशोधन कर उसकी मूल भावना को बदल दिया। प्रश्न लेखा समिति के सामने इस मुद्दे को उठाया है।
-बाला बच्चन, विधायक राजपुर
1 जुलाई 2024 को स्नातक कॉलेजों में सुविधाओं के अभाव को लेकर सवाल किया था। लेकिन उत्तर में उन्हें गलत जानकारी दी गई। दिसंबर 2024 में हुए शीतकालीन सत्र में प्रश्न 673 के जरिए गलत जानकारी पर आपत्ति दर्ज कराई तो उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सदन में स्वीकार किया कि गलत जानकारी दी गई थी। गलती करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी नहीं दी गई ।
– जयवर्धन सिंह, विधायक राघौगढ़
शीत सत्र के दौरान 29 जुलाई को लगाए सवाल में लालड़ी बहना योजना में मुरैना जिले से जुड़ी जानकारी मांगी थी, लेकिन सवाल को बदलकर प्रदेश स्तर का कर दिया गया। सवाल की भाषा और भावार्थ भी बदल दिया गया, जिससे प्रश्न का औचित्य ही खत्म हो गया। यह विशेषाधिकार का हनन है।
-पंकज उपाध्याय, विधायक जौरा
जुलाई 2025 के मानसून सत्र में उज्जैन के कृषि विभाग में भ्रष्टाचार, अनियमितता और लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू के मामलों से जुड़ा सवाल लगाया था। सवाल नंबर 345 के बिंदु क्रमांक 2, 3 और 4 को प्रश्नोत्तरी से ही हटा दिया। इन बिंदुओं में भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी।
– महेश परमार, विधायक तराना





