लोन सस्ता हुआ या नहीं? रिजर्व बैंक ने ले लिया फैसला, जानें ब्याज दरों में कितना हुआ बदलाव

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने नई ब्याज दरों की घोषणा कर दी है। ब्याज दरों में इस बार 25 बेसिस पॉइंट की कमी की गई है। ब्याज दरों की घोषणा रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक खत्म होने के बाद की। रिजर्व बैंक की घोषणा के बाद अब नया रेपो रेट 5.5% से घटकर 5.25% हो गया है। रेपो रेट कम होने से सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। एमपीसी की पिछली बैठक 1 अक्टूबर को हुई थी। उसमें रिजर्व बैंक ने रेपो दर 5.5 फीसदी पर स्थिर रखी थी।

ब्याज दरों में कटौती को लेकर एक्सपर्ट की राय बंटी हुई थी। ज्यादातर अर्थशास्त्री ब्याज दर में कोई बदलाव न होने की उम्मीद कर रहे थे, जबकि कुछ उद्योग जगत के लोगों का मानना था कि दर में कटौती का यह सही समय है। अर्थशास्त्रियों का मानना था कि मजबूत आर्थिक संकेतकों के चलते केंद्रीय बैंक अपनी वर्तमान नीतिगत दर को बनाए रख सकता है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट में कटौती का यह फैसला इसलिए संभव हुआ क्योंकि महंगाई में अप्रत्याशित और तेज गिरावट आई है और अर्थव्यवस्था उम्मीद से ज्यादा मजबूत हुई है। इस फैसले पर छह सदस्यों वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने सर्वसम्मति से मुहर लगाई। एमपीसी की बैठक के मिनट्स (विस्तृत रिपोर्ट) 19 दिसंबर 2025 को जारी किए जाएंगे। अगली एमपीसी बैठक 4 से 6 फरवरी 2026 को होगी।

अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज, GDP का अनुमान बढ़ा

RBI ने पूरे साल के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान भी बढ़ाया है। अब यह 7.3% रहने की उम्मीद है, जो पहले 6.8% अनुमानित था। यह बढ़ोतरी पहली छमाही में अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन और विभिन्न क्षेत्रों में लगातार बनी हुई तेजी को दर्शाती है।

  • वित्तीय वर्ष 2025-26 की तीसरी तिमाही (Q3 FY26) में ग्रोथ का अनुमान 6.7% से बढ़ाकर 7.0% कर दिया गया है।
  • इसी तरह, चौथी तिमाही (Q4 FY26) में ग्रोथ का अनुमान 6.2% से बढ़ाकर 6.5% किया गया है।
  • RBI को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही (Q1 FY27) में अर्थव्यवस्था 6.7% और दूसरी तिमाही (Q2 FY27) में 6.8% की दर से बढ़ेगी।

घरेलू मांग मजबूत

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि घरेलू मांग ‘मजबूत और व्यापक’ बनी हुई है। शहरी इलाकों में खपत अच्छी है, ग्रामीण मांग में लगातार सुधार हो रहा है और निजी निवेश भी बढ़ रहा है। विनिर्माण (manufacturing) और सेवा (services) क्षेत्र अच्छी गति से आगे बढ़ रहे हैं। इसका कारण उत्पादन लागत में कमी और क्षमता के बेहतर उपयोग को माना जा रहा है। वहीं, कृषि क्षेत्र भी स्थिर रहने की उम्मीद है, क्योंकि बुवाई की स्थितियां अनुकूल हैं, जलाशयों में पर्याप्त पानी है और रबी की फसल की प्रगति सामान्य है। रिजर्व बैंक ने यह भी बताया कि राजकोषीय समेकन (fiscal consolidation), लक्षित सार्वजनिक निवेश और GST से मिली दक्षता में सुधार अर्थव्यवस्था की इस मजबूती को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।

महंगाई ऐतिहासिक निचले स्तर पर

भारत में खुदरा महंगाई अक्टूबर में घटकर 0.25% पर आ गई। यह पहली बार है जब महंगाई RBI के लक्ष्य बैंड के निचले स्तर से भी नीचे चली गई है। महंगाई में यह कमी मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई भारी गिरावट के कारण हुई है, जिसने आयातित वस्तुओं से जुड़े दबावों को कम कर दिया। मुख्य महंगाई (core inflation), जिसमें कीमती धातुओं की अस्थिरता को छोड़ दिया जाए, वह भी लगातार नरम पड़ रही है। इसके चलते, RBI अब वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए हेडलाइन CPI महंगाई का अनुमान 2.0% लगा रहा है। तिमाही के हिसाब से अनुमान इस प्रकार हैं:

  • Q3 FY26: 0.6%
  • Q4 FY26: 2.9%
  • Q1 FY27: 3.0%
  • Q2 FY27: 2.8%

मुख्य नीतिगत फैसले एक नजर में

  • रेपो रेट में 25 bps की कटौती की गई, जो अब 5.25% हो गया है।
  • स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट को घटाकर 5% कर दिया गया है।
  • मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट को 5.50% पर संशोधित किया गया है।
  • नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ (तटस्थ) रखा गया है।

क्या है रेपो रेट?

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को लोन देता है। जब रेपो रेट बढ़ती है, तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है। ऐसे में वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं। वे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे सभी लोन पर ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। रिजर्व बैंक महंगाई में कमी लाने के लिए बाजार में लिक्विडिटी घटाता है। ऐसा वह रेपो रेट बढ़ाकर करता है।

क्या है रिवर्स रेपो रेट?

बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद कुछ रकम बची रह जाती है तो उसे वे रिजर्व बैंक में जमा करा देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। केंद्रीय बैंक से इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देय होता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। इस रेट के घटने या बढ़ने का सीधा असर आप पर नहीं पड़ता। दरअसल, जब बाजार में नकदी कम करनी होती है तो रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है। इससे बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा देते हैं।

सीआरआर क्या है?

देश बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखना होता है। बैंक कितनी नकदी रिजर्व बैंक के पास जमा करेगा, इसे तय करने का फार्मूला कैश रिजर्व रेशियो या सीआरआर कहलाता है। रिजर्व बैंक ने ये नियम इसलिए बनाए हैं, जिससे किसी भी बैंक में बहुत बड़ी संख्या में ग्राहकों को रकम निकालने की जरूरत पड़े तो बैंक पैसे देने से मना न कर सके।

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