एडवांटेज-ओवरसीज ने 100 गुना टर्नओवर दिखाकर लोन लिया:SBI से 1266 करोड़ का फ्रॉड किया

ईडी भोपाल की टीम ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 1266 करोड़ का लोन लेकर खुद को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) बताने वाली मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के यहां सर्चिंग कर 300 करोड़ रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी और नकदी जब्त की है।

ईडी ने बैंक के साथ फ्रॉड करने वाले कंपनी के डायरेक्टर्स, कर्मचारियों और बेनामीदारों के नाम पर संपत्तियां अर्जित की और बैंक से लिए गए लोन का आपराधिक इस्तेमाल किया। ईडी की जांच में मिले दस्तावेजों से कंपनी द्वारा देश-विदेश में बैंक से लिए गए लोन का उपयोग करने के सबूत मिले हैं।

आपराधिक आय को वैध बनाने से जुड़े दस्तावेज मिले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 4 अगस्त को पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड (एओपीएल) के ठिकानों पर सर्चिंग की है। सर्चिंग के दौरान इन ठिकानों से ऐसे दस्तावेज भी मिले, जो आपराधिक आय को वैध बनाने से संबंधित हैं।

साथ ही संदिग्ध लेन-देन के जरिए अत्यधिक महंगी प्रॉपर्टीज को कर्मचारियों और बेनामीदारों के नाम पर रखा गया। इसके लिए बेनामी कंपनियों का भी इस्तेमाल किया गया।

सीबीआई की एफआईआर के आधार पर शुरू की जांच ईडी ने सीबीआई बीएसएफसी नई दिल्ली द्वारा आईपीसी 1860 की अलग-अलग धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की गई कार्रवाई के आधार पर यह सर्चिंग की है।

मेसर्स एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड और उसके डायरेक्टर्स, संबंधित व्यक्तियों और अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी, सिक्योरिटी में जालसाजी के मकसद से आपराधिक साजिश करने की कार्रवाई इसके तहत की गई है।

इस कंपनी द्वारा भारतीय स्टेट बैंक को 1266.63 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। जिसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की है।

100 गुना टर्नओवर बताकर 73 संस्थाओं के जरिए लोन ईडी की जांच में पता चला है कि एओपीएल ने बैंकों से अनुचित फायदा लेने के लिए टर्नओवर को 100 गुना बढ़ाकर बैंक को धोखा दिया। फिर संबंधित पक्ष के साथ लेन-देन किए और 73 अलग-अलग संस्थाओं के जरिए खुद को और अपनी सहयोगी कंपनियों को असुरक्षित ऋण (अन सिक्योर्ड लोन) की आड़ में बैंक से लिए गए लोन का दुरुपयोग किया।

इस मोटी रकम का दुरुपयोग करने के बाद एओपीएल ने खुद को एनपीए बता दिया और इसके बाद एसबीआई ने एओपीएल के खिलाफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में आवेदन दायर किया।

तलाशी अभियान के दौरान बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए। इन दस्तावेजों से पता चला कि निदेशक और उनके सहयोगियों ने भारत और विदेशों में काफी चल और अचल संपत्तियां जुटाई हैं। अब तक तलाशी के दौरान 300 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का पता चला है। इसकी जांच अभी जारी है।

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